पवित्रा बारस
पवित्रा बारस पुष्टिमार्ग स्थापना दिवस है, उत्सव से जुड़ा भाव , गुरु को पवित्रा धरने , श्रीनाथजी सेवा क्रम, पवित्रा द्वादशी वार्ता प्रसंग की जानकारी |
पवित्रा बारस वार्ता प्रसंग :
पवित्रा एकादशी की रात्रिको जब श्रीमहाप्रभुजी और ठाकोरजी के मध्य दिव्य संवाद चल रहे थे | तब वहीं नजदीक पर श्री दामोदरदास हरसानी जी लेटे थे | वे इस संवाद को सुन रहे थे | जब ठाकोरजी के संवाद पश्चात ठाकुरजी अंतर्ध्यान हुए |
श्री वल्लभ ने हरसानी जी से पूछा के “दमला कछु सुनियो …? ” तब हरसानीजी विस्तार में जानने के हेतु एवं गुरु की महिमा के उदाहरण के लिए बोले “सुनियो तो सही पर समज्यो नहीं” | यहा सीखने योग्य भाव यह है की सेवक कभी गुरु से बड़ा नहीं हो सकता | और प्रभु के साथ जुड़े गूढ भाव हमे केवल और केवल गुरु के सानिध्य मे ही सीखने को मिल सकते है |
तब महाप्रभुजी ने विस्तार से जानकारी दी | और दूसरे दिन श्रावण सूद बारस को महाप्रभुजी ने दामोदर दासजी को यमुनाजी मे स्नान करने की आज्ञा दी | जब दामोदरदासजी स्नान करके आए | फिर श्री महाप्रभुजी सर्व प्रथम ब्रम्हसंबंध दामोदर दास जी को दिया | हरसानिजी सर्व प्रथम पुष्टिमार्गीय वैष्णव बने | फिर श्री वल्लभ ने कहा “दमला यह मार्ग मेने तेरे लिए प्रकट कियो है।” दमलाजी सभी वैष्णवी सृष्टि के प्रतिनिधि है | इसलिए यह ज्ञात होता है की यह मार्ग वैष्णवन के लिए है |
और इस तरह श्री महाप्रभुजी ने पुष्टीमार्ग की स्थापना की | इस कारण से आज का दिवस समग्र पुष्टि सृष्टि के लिए महत्व पूर्ण है |
फिर उसके बाद महाप्रभुजीने हरसानिजी को कहा की “अब मे जो कह रहा हु | वह अक्षरक्ष (अक्षर-अक्षर) प्रभु की आज्ञा है | इस तरह श्री महाप्रभुजी ने सिद्धांत रहस्य के ग्रंथ की रचना करी और दमला जी को समझाया |
सिद्धांत रहष्य ग्रंथ हमारे प्लेटफॉर्म के नित्य नियम शेकशन मे अवेलेबल है | लिंक नीचे दी गई है |
गुरु को पवित्रा धराए
आज पुष्टिमार्ग की स्थापना का दिवस के रूप मे पुष्टि श्रुष्टी के लिए महत्व पूर्ण दिवस है | महाप्रभुजी हम सब के गुरु बने |
इस लिए आज पुष्टिमार्ग मे गुरु के पूजन के रूप मे मनाया जाता है | आज के दिन सभी वैष्णवन को सेवा मे ठाकुरजी को पवित्रा धरने के पश्चात अपने गुरु को पवित्रा धरने अवश्य जाना चाहिए | हमे ब्रम्ह संबंध देने वाले गुरु को पवित्रा धरे, यथा शक्ति भेट धरे | दनवत प्रणाम करे |