दशहरा

दशहरा पुष्टिमार्ग सेवा क्रम, श्रीनाथजी दर्शन, पुष्टि भाव, दशहरा के पद , आज से नित्य सेवा मे होने वाले फेर बदल, विजया दशमी पुष्टिमार्ग भाव की जानकारी | असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है दशहरा | आज के दिवस प्रभु ने श्री रामावतार मे रावण का वध किया है |

तिथि : अश्विन शुक्लपक्ष दशमी

पुष्टिमार्ग क्रम – भाव :

प्रथम विलास के दिन जो माटी के १० मिट्टी के बर्तन मे बीज रोपण होता है | १० दिन तक यह बीज की वृद्धि होती है जो हमारे भाव की वृद्धि के भाव से है | इन नों दिनों मे हुई अंकुर की वृद्धि नवधाभक्ति मे वृद्धि के भाव से है |

जव का चिन्ह श्री स्वामीनिजी के श्री चरण मे है जो नवधा भक्ति का सुचन करता है | नों दिनों मे हुए अंकुर की वृद्धि को लाल धागे (जो प्रेम लक्षणा भक्ति के भाव से है)से बांध कर (अर्थात नवधा भक्ति मे से ही प्रेम लक्षणा भक्ति प्राप्त की जा शक्ति है) प्रभु को धराए जाते है |

प्रभु हमारे इस भाव को सहर्ष आपके श्री मस्तक पर धारण करते है | यह १० वर्तन १० गुण के भक्त के भाव से होते है | जो सात्विक, राजस, तामस से ९ गुण बनते है और १ निर्गुण इस तरह १० गुण के भक्तों के भाव से होते है |

श्रीनाथजी दर्शन – दशहरा 

दशहरा श्रीनाथजी दर्शन

पुष्टिमार्ग मे ऋतु अनुसार सेवाक्रम मे बदलाव एक अद्भुत रीत है | आज से शीतकाल का प्रभाव बढ़ने के भाव से सेवा क्रम मे कुछ बदलाव होंगे |

गेंद, चौगान व दीवाला सोने के आते हैं | आज से ही प्रतिदिन खिड़क से गौमाता पधारें इस भाव से प्रभु के सम्मुख काष्ट (लकड़ी) की गाय पधरायी जाती है | हल्की ठण्ड आरम्भ हो गयी है | अतः आज से मंगला समय प्रभु स्वरुप की पीठिका पर दत्तु ओढाया जाता है |

आज से प्रभु को ज़री के वागा धराये जाने आरम्भ हो जाते हैं | जो कि बसंत पंचमी से एक दिन पूर्व तक धराये जायेंगे | ठाडे वस्त्र भी दरियाई के आरम्भ हो जाते हैं | ज़री के वस्त्र प्रभु के श्रीअंग पर चुभें नहीं इस भाव से आज से प्रतिदिन प्रभु को सामान्य वस्त्रों के भीतर आत्मसुख के वागा धराये जाते हैं |

आत्मसुख के वागा विजयदशमी से कार्तिक शुक्ल दशमी तक (मलमल के) व कार्तिक शुक्ल (देवप्रबोधिनी) एकादशी से डोलोत्सव तक (शीत वृद्धि के अनुसार रुई के) धराये जाते हैं |

आज से श्रीजी में शयन के दर्शन बाहर खुलना प्रारंभ हो जाते हैं | जो कि आगामी मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी (नित्यलीलास्थ श्री गोकुलनाथजी के उत्सव के एक दिन पूर्व) तक अर्थात लगभग 55 दिन तक प्रतिदिन सायंकाल लगभग 7 बजे होंगे |

आज श्रृंगार में विशेष यह है कि आज प्रभु के दायें श्रीहस्त में प्राचीन पन्ना की जडाऊ कटार धरायी जाती है | शक्तिरूपेण भाव से राजभोग समय प्राचीन मगर की खाल से बनी ढाल (जिसमें स्वर्ण का अद्भुत काम किया हुआ है) को तबकड़ी पर प्रभु के सम्मुख रखा जाता है | एवं राजभोग पश्चात हटा लिया जाता है |

इसी भाव से एक दिवस पूर्व संध्या काल में प्रभु के स्वरुप के पीछे एक लकड़ी के लम्बे संदूक में विभिन्न आकारों की ढालें, तलवारें, अद्भुत काम से सुसज्जित कटारें, धनुष-बाण, चाकू आदि विभिन्न अस्त्र-शस्त्र रखे जाते हैं | जिन्हें दशहरा के दिन संध्या-आरती दर्शन के उपरांत हटा लिया जाता है |

तृतीय गृह प्रभु श्री द्वारकाधीशजी आदि कुछ पुष्टि स्वरूपों में नवरात्रि के अंतिम दिनों में अस्त्र, शस्त्र प्रभु के सम्मुख रखे जाते हैं |

आज से अन्नकूट महायाग की झांझ की बधाई बैठती है | एवं अन्नकूट सामग्री निर्माण के प्रारंभ हेतु बालभोग का भट्टी पूजन किया जाता है |

प्रथम नवरात्रि मे बोए गए जवारा को आज शायं काल प्रभु को तिलक किया जाता है | अक्षत किया जाता है | फिर चंद्रिका को वड़ा कर जवारा की कलगी धराई जाती है | इस समय झालर – घंटा , संखादी बजाए जाते है | धूप दीप किए जाते है | उस समय जवारा पहेरे गिरधर लाल पद गायन किया जाता है |

आज संध्या आरती दर्शन पश्चात अश्व पूजन किया जाता है |

-प्रभु के फुलेल, आंवला व केसर युक्त चन्दन से अभ्यंग होता है। आज से मंगला में दत्तू धराया जाता है। आज से आरती के तीनों खंडो में बाती सजे। आज से वस्त्र के अंदर ‘ख़ासा का'(आत्म सुख) धराया जाता है।ठाड़े वस्र दरियाई धराए जाते हैं।शयन के दर्शन आज से खुले।

साज : – आज श्रीजी में हरे रंग के आधार वस्त्र पर पुष्प-पत्रों की लता के सुरमा-सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के भरतकाम वाली पिछवाई धरायी जाती है | गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है |

वस्त्र:- घेरदार बागा,चोली,छज्जेदार चीरा ये सब रूपहरी जरी के।पटका सुनहरी जरी को।सुथन लाल सली दार जरी की।ठाड़े वस्त्र हरे दरियाई के।पिछवाई हरी धरती पे सुनहरी बेल बूटा की।

आभरण:- सब उत्सव के। बनमाला को श्रृंगार। प्रधानता माणक की। चीरा पे माणक को पट्टीदार सिरपेच धरावे। कस्तूरी,कली वल्लभीआदि माला धरावे।वेणु वेत्र माणक के,एक हीरा को।जड़ाऊ शस्त्र की पेटी आवे ।जड़ाऊ कटार धरावे।किलंगी नवरत्न की।श्रीमस्तक पे मोर चन्द्रिका सादा। आरसी श्रृंगार में चारझाड़ की।

विशेष:- आज भोग के दर्शन में जवारा धरावे। पहले श्री के तिलक अक्षत होव, बीड़ा पधरावे, फिर मोर चंद्रिका बड़ी करके जावरा धरावे।

सामग्री:- गोपी वल्लभ में मनोर,सकड़ी में केसर युक्त पेठा व मीठी सेव ।फीका ,थपड़ी आज से बंद। कंद, रतालू आदि शुरू। दूध घर की केसर युक्त बासुंदी आरोगे।

मंगला – गोकुल को कुल देवता 

राजभोग – तिहारे खिरक बताई

जवारे धरे – आज दसहरा शुभ दिन नीको 

आरती – चढे हरी कनक पूरी में आज

शयन – गोकुल को जीवन

मान – विजय दसमी विजय मुहरत 

पोढवे – वे देखो बरत झरोखन दीपक

Seva Kram  courtesy: Shrinathji Temple Nathdwara Management | Shrinathji Nitya Darshan Facebook Page 

दशहरा के पद , नव विलास के पद,  शरद पूर्णिमा के पद , रास के पद की ई-बुक  नीचे दी गई है | एवं आपको हमारे पध्य साहित्य सेक्शन मे से भी प्राप्त हो शक्ति है |

Nav Vilas Vijya Dashmi Sharad Purnima ke pad
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