રક્ષા બંધન

રક્ષા બંધન પુષ્ટિમાર્ગ શ્રીનાથજી સેવા ક્રમ.  રક્ષા બંધન પુષ્ટિમાર્ગ ભાવ. શ્રી ક્રુષ્ણલીલા, શ્રીનાથજી દર્શન , રક્ષા બંધન કે પદ, ની જાણકારી. આજ થી જન્માષ્ટમી ની બડી વધાઈ પણ બેસે છે.

તિથી : શ્રાવણ સુદ પૂનમ

  • રક્ષા બંધન ના દિવસે પ્રભુ શ્રી ક્રુષ્ણ ની નાની બહેન સુભદ્રાજી આપના બને મોટા ભાઈ શ્રી બલદાઉ અને શ્રી ક્રુષ્ણ ને આજે રક્ષા સૂત્ર (રાખડી) બાંધે છે. અક્ષત કુમકુમ થી ટીકા કરે છે. આરતી ઉતારે છે.
रक्षाबंधन पुष्टिमार्ग कृष्ण लीला दर्शन

પુષ્ટિમાર્ગ ભાવ :

गोपीनाथजी आचार्य चरण रक्षाबंधन पुष्टिमार्ग भाव

શ્રી ગોપીનાથજી પ્રભુચરણ રક્ષા બંધન ના ભાવ પ્રકાશ માં આજ્ઞા કરે છે : 

पूतना वध लीला

બાલ્ય અવસ્થા માં પ્રભુ જ્યારે પૂતના નો વધ કરી ઉપરાંત જ્યારે પ્રભુ પૂતના ના શરીર પર રમી રહ્યા હતા.

ત્યારે ગોપીઓ પ્રભુ ની રક્ષા માટે આપશ્રી ને રાખડી બાંધી અને આપની રક્ષાની કામના કરે છે. આ ભાવ થી પુષ્ટિમાર્ગ માં વૈષ્ણ.. જેઓ બધાનું રક્ષણ કરે છે ; એમના રક્ષણ ની મનોકામના કરે છે. અને પ્રભુ ને રાખડી ધરે છે.

प्रभु श्रीनाथजी को  पवित्रा की भांति ही रक्षा (राखी) भी शुभमुहूर्त से धराई जाती है | कभी प्रातः काल श्रृंगार दर्शन में और कभी उत्थापन दर्शन में धरायी जाती है | पुष्टिमार्ग में सूर्योदय के समय की तिथि से त्यौहार मनाया जाता है | व भद्रा रहित काल में श्री ठाकुरजी को रक्षा धरायी जाती है |

सभी वैष्णव अपने सेव्य ठाकुरजी को शृंगार दर्शन के पश्चात रक्षा (राखी) धरा सकते हैं | एवं टिप्पणी मे अन्यथा आप हमारे तिथि पत्र मे उत्सव के दिन तिथि पर टच करके मुहूर्त समय जान शकते है | वह मुहूर्त अनुसार प्रभु को राखी धरी जाती है | कुंकुम अक्षत का टीका करते है |

सभी वैष्णव प्रभु को शृंगार मे सेव्य ठाकुरजी को रक्षा सूत्र (राखी) धरने के पश्चात अपनी बहनों से राखी बंधाते है  | 

શ્રીનાથજી દર્શન | રક્ષા બંધન

श्रीनाथजी दर्शन रक्षा बंधन उत्सव पुष्टिमार्ग

सभी द्वार में हल्दी से डेली मंढे,बंदरवाल बंधे।सभी समय जमना जल की झारीजी आवे।चारो समय थाली की आरती उतरे। अभ्यंग। आज से नवमी तक आगे की सफेदी नहीं चढ़े।तकिया लाल मखमल के।

साज :- श्रीजी में आज लाल रंग की मलमल पर रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है | गादी के ऊपर सफेद और तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट की जाती है | तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है | पीठिका और पिछवाई के ऊपर रेशम के रंग-बिरंगे पवित्रा धराये जाते है |

वस्त्र:- पिछोड़ा लाल,रूपहरी पठानी किनारी को।श्रीमस्तक पे छज्जेदार पाग,चिल्ला वाली।ठाड़े वस्त्र पिले।पिछवाई वस्त्र जैसी लाल।

आभरण:- सब उत्सव के,हीरा की प्रधानता।मध्य से दो आगुल उचो श्रृंगार।हीरा, पन्ना,मानक मोती के हार,माला,दुलड़ा धरावे। श्रीकर्ण में कर्ण फूल दो जोड़ी।कली की माला आवे।श्रीमस्तक पे मोर चन्द्रिका आवे।वेणु वेत्र तीनो हीरा के।पट उत्सव को,गोटी जड़ाऊ।आरसी चार झाड़ की।

राखी धरावे।झालर,घंटा,शंख बजे।प्रभु के तिलक अक्षत करके राखी धरावे।फिर सभी स्वरूप के राखी धरावे।

विशेष:- दुधघर की हाँड़ी,गुलपापड़ी,कतला, कच्चर,चालनी आवे।गोपिवल्लभ में जलेबी।फीका में चालनी,केसरी पेठा,मीठी सेवादी।

सायं कांच के हिंडोलाना में झूले।

अनोसर में अत्तर दान,मिठाई को थाल,चोपड़ा,चार बीड़ा,आरसी आदी आवे।

मंगला – सोहेलरा नंद महर घर आज

राजभोग – ऐ री ऐ आज नंदराय 

हिंडोरा – सावन की पून्यो मन भवन, सुघर रावरे की गोप कुँवर,  मन मोहन रंग बोरे झूलन आइ , रशे ज़ू झुलत रमक-झमक शयन – श्रावण सुन सजनी बाजे मंदिलरा

मान – गृह आवत गोपीजन

राखी धरावे- बहन सुभद्रा राखी बाँधत

Seva kram  courtesy: Shrinathji Temple Nathdwara Management | 

रक्षा बंधन के पद :

राग : वृंदावनी  सारंग

बहेन सुभद्रा राखी बांधत बल अरु श्री गोपाल के।
कनकथार अक्षतभर कुंकुंम तिलक करत नंदलाल के।।१।।
आरती करत देत न्योछावर वारत मुक्ता मालके।
आसकरण प्रभु मोहन नागर प्रेम पुंज व्रजलालके ।।२।।

राग : सारंग

राखी बांधत यशोदा मैया ॥
बहु शृंगार सजे आभूषण गिरिधर भैया ॥१ ॥
रत्नखचित राखी बांधि कर पुनपुन त बलैया ॥
सकल भोग आगें धर राखे तनकजु लेहु कन्हैया ॥२ ॥
यह छबि देख मग्न नंदरानी निरख निरख सचुपैया ॥
जीयो यशोदा पूत तिहारो परमानंद बलजैया ॥ ३ ॥

राग : केदारो

आज वृषभानकी ललीके वदन पर दूनी छबि रही फबि ।।
यशोदाको लाल वीर सहोद्राको राखी बांधि झुलतहें अति बाढी छबि ॥ १ ॥
चहूं ओर झोटादेत परस्पर बडोहेत रीझ रीझ नरनारी भयेहें मुदित मन ॥
मुकुटकी लटक बीच कुंजल अति शोभा देत कोटिकिरन सहित रवि ओर मदन ॥ २ ॥
तजि न सकत मन टारी न टरत छबि मोंकु नेक ढील भई कहारी कहुं अब ।।
कृष्णदास पिय वसो मन सदाहियें एसी छबि वरन सकत कोन कवि ॥ ३ ॥