श्री महाप्रभुजी उत्सव
पुष्टिमार्ग संस्थापक श्री कृष्ण के वदनावतार जगतगुरु श्री वल्लभाचार्यजी महाप्रभुजी प्राकट्य उत्सव माहात्म्य, सेवा क्रम , बधाई के पद |
तब जुगलजोड़ी सरकार ने वह अग्नि पुंज में से प्रकट हुए स्वरूप को कहा कि आप तो हम दोनों के प्रिय हो, वहाले हो,
“आप हमारे वल्लभ हो…..”
तो कुछ इस तरह श्री वल्लभ महाप्रभुजी का नित्य लीला मे प्राकट्य हुआ |”
वह समय श्री वल्लभ ने दोनों स्वरूप को नमन करके अष्टाक्षर मंत्र
” श्री (स्वामीनिजी) कृष्ण: (प्रभु) शरणं मम ”
की रचना की |
श्रीनाथजी ने श्रावण सूद पाँचम के दिन व्रजवासी को ऊर्ध्व भुजा का दर्शन कराया | फिर 69 साल तक पूजन का क्रम रहा | फिर जब श्री महाप्रभुजी भूतल पर पधारे तब इसी दिन श्रीजी ने अपने मुखारविंद के दर्शन बृजवासी को कराए |
श्री महाप्रभुजी के जीवन चरित्र के सूक्ष्म दर्शन करने हेतु नीचे दीए गए ई-बुक को पढे |
श्री महाप्रभुजी के उत्सव की बधाई के पद के लिए नीचे दी गई ई-बुक को पढे |