प्रातः समरण
|| श्री कृष्णाय नम: ||
|| श्री गोपीजनवल्लभाय नम:||
|| श्री मदाचार्यचरण कमलेभ्यो नम:||
|| श्री गुसाईंजी परम दयालवे नमः ||
|| श्री यमुना चतूर्थाभ्यां नम: ||
|| श्री गुरुवै नमः ||
श्री गोवर्धननाथपादयुगलम् , हैयंगवीन प्रियम् ।
नित्यं श्रीमथुराधिपं सुखकरं, श्री विट्ठलेशं मुदा ॥
श्रीमदद्वारवतीश गोकुलपति, श्री गोकुलेन्दुं विभुं |
श्री मन्मन्मथ मोहनं नटवरं श्री बालकृष्णं भजेत् || १ ||
श्रीमद वल्लभ विठ्ठ्लो गिरिधरं, गोविन्दराया भिधम ।
श्रीमद बालकृष्ण गोकुलपति, नाथं रघुणाम स्तथा ॥
एवं श्री यदुनायकं किल घन-श्यामं च तद् वंशजान् ।
कालिन्दिं स्वगुरुं गिरिं गुरुविभुं स्वीयतप्रभुश्च स्मरेत ॥ २ ||
प्रथम :
श्री गोवर्धननाथजी के युगल(दोनों) चरण कमल, जिनको माखन अति प्रिय है ऐसे श्री नवनीत प्रियाजी साथ साथ सारे निधि स्वरूप श्री मथुराधीशजी, श्री विठ्ठलनाथजी, श्री द्वारकाधीशजी, श्री गोकुलनाथजी, श्री गोकुलचंद्रमाजी, श्री मदनमोहनजी, श्री बालकृष्ण जी के भजन(सेवा) करता हु |
द्वितीय :
हर वैष्णवन को श्री वल्लभ, श्री विठ्ठल और आपश्री के सात लालन श्री गिरिधरजी, श्री गोविंदरायजी, श्री बालकृष्णलालजी, श्री गोकुलनाथजी, श्री रघुनाथजी, श्री यदुनाथजी, श्री घनश्यामलालजी और आप के वंशज(श्री वल्लभकुल), श्री यमुनाजी, स्वयं के गुरु, श्री गिरीराजजी, श्री गुरु के सेव्य प्रभु और स्वयं के सेव्य प्रभु का नित्य स्मरण करना चाहिए |