छीतस्वामी – अष्ट छाप कवि
Info Shorts credit : https://pushtimarg.wordpress.com/
श्रीनाथजी अष्ट सखा छीतस्वामी का जीवन परिचय और रोचक वार्ता प्रसंग |
श्री महाप्रभुजी के नित्यलीला गमन के पश्चात श्री गुसाईजी के विवाह श्री गोपिनाथजी ने कराए | कृष्णदास अधिकारी और श्रीजीबावा ने लीला के द्वारा आपकी सेवा मे अनीति करने वाले बंगालिकों सेवा मे से निकाला |
और श्री महाप्रभुजीके विध्यगुरु माधवानंदजी को मलयांचाल पर्वत पर श्रीजी के ही दूसरे स्वरूप “हेम गोपालजी” की सेवा सोपी |
कृष्णदासजिने श्रीजी की सेवा मे साँचोरा ब्राम्हणो को नियुक्त किया और मुख्या बनाए श्री रामदास साचोरा को | अब एक नए जीव को शरण मे लेनेकी तैयारी श्रीजी कर रहे थे |
मथुरा मे ५ बदमाशों की टोली | मथुरा मे विश्रामघाट पर उनका अड्डा | सब उनसे परेशान और भयभीत | इन बदमाशों की टोली के सरदार “छितू चोबे”|
उसके बाद श्री नवनीत प्रियाजी के दर्शन करने अंदर मंदिर मे गए श्री नवनीत प्रियाजी के बदले श्री गुसाईजी के दर्शन हुए | सोचने लगे अरे श्री गुसाईजी तो बहार बिराज रहे है यहा कैसे ? तब श्री गुसाईजी ने आज्ञा की आप गोपालपुरा जाकर गोवर्धननाथजीके दर्शन कीजिए |
राजभोग तक गोपालपुरा आकर श्रीजी के दर्शन किए तो प्रभु के पास मे श्री गुसाईजीके दर्शन किए |सोचने लगे अभी गोकुल मे बिराज रहे यहा कैसे पधारे | किसीसे पुछा तो जवाब मिला की श्री गुसाईजी तो गोकुल बिराज रहे है |
फिर से भागते भागते उत्थापन तक गोकुल आए तो देखा की श्री गुसाईजी तो आपकी बैठक मे बिराजमान है | छितू चोबे ने फिर एक अद्भुत पद की रचना की | श्री गुसाईजीने उनको ब्रम्हसंबंध कराया |
श्रीजीबावा की कीर्तन सेवा मे उनको नियुक्त किया |अब वह बदमाश छितू चोबे मे से छितस्वामी बने | छितस्वामी को श्री गुसाईजी मे कोटी कंदर्प लावण्य युक पूर्ण पुरूषोंत्तम के दर्शन हुए और उनको श्री गुसाईजी एवं ठाकोरजी मे अभेद स्थापित हुआ |
साथ साथ भगवद लीला की स्फुरणा हुई और उन्होंने ठाकोरजी और श्री गुसाईजी के एक से बढ़ कर एक अलौकिक पदों कई रचनाए की जैसे की
-भोग श्रृंगार यशोदा मैया, श्री विट्ठलनाथ के हाथ को भावें
-प्रिय नवनीत पालने जुले
जैसे कई पदों की रचना की | अष्टछाप कवि मे से एक बने | नित्य श्रीनाथजीकी सेवा मे अलौकिक पदों का गायन किया | श्रीजीबावा के बड़े कृपा पात्र रहे |
Leave A Comment
You must be logged in to post a comment.