सभी द्वार में हल्दी से डेली मंढे,बंदरवाल बंधे।सभी समय जमना जल की झारीजी आवे।चारो समय थाली की आरती उतरे। अभ्यंग। आज से नवमी तक आगे की सफेदी नहीं चढ़े।तकिया लाल मखमल के।
साज :- श्रीजी में आज लाल रंग की मलमल पर रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है | गादी के ऊपर सफेद और तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट की जाती है | तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है | पीठिका और पिछवाई के ऊपर रेशम के रंग-बिरंगे पवित्रा धराये जाते है |
वस्त्र:- पिछोड़ा लाल,रूपहरी पठानी किनारी को।श्रीमस्तक पे छज्जेदार पाग,चिल्ला वाली।ठाड़े वस्त्र पिले।पिछवाई वस्त्र जैसी लाल।
आभरण:- सब उत्सव के,हीरा की प्रधानता।मध्य से दो आगुल उचो श्रृंगार।हीरा, पन्ना,मानक मोती के हार,माला,दुलड़ा धरावे। श्रीकर्ण में कर्ण फूल दो जोड़ी।कली की माला आवे।श्रीमस्तक पे मोर चन्द्रिका आवे।वेणु वेत्र तीनो हीरा के।पट उत्सव को,गोटी जड़ाऊ।आरसी चार झाड़ की।
राखी धरावे।झालर,घंटा,शंख बजे।प्रभु के तिलक अक्षत करके राखी धरावे।फिर सभी स्वरूप के राखी धरावे।
विशेष:- दुधघर की हाँड़ी,गुलपापड़ी,कतला, कच्चर,चालनी आवे।गोपिवल्लभ में जलेबी।फीका में चालनी,केसरी पेठा,मीठी सेवादी।
सायं कांच के हिंडोलाना में झूले।
अनोसर में अत्तर दान,मिठाई को थाल,चोपड़ा,चार बीड़ा,आरसी आदी आवे।
मंगला – सोहेलरा नंद महर घर आज
राजभोग – ऐ री ऐ आज नंदराय
हिंडोरा – सावन की पून्यो मन भवन, सुघर रावरे की गोप कुँवर, मन मोहन रंग बोरे झूलन आइ , रशे ज़ू झुलत रमक-झमक शयन – श्रावण सुन सजनी बाजे मंदिलरा
मान – गृह आवत गोपीजन
राखी धरावे- बहन सुभद्रा राखी बाँधत
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