Loading...

श्रावण शुक्लपक्ष 3

Loading Events

ठकुरानी तीज मधुस्रवा ।

उत्सव से जुड़े प्रसंग को जानने हेतु हमारे अध्ययन शेकशन के वर्षोत्सव सेक्शन मे जाए |

सेवा क्रम :

सभी द्वार में हल्दी से डेली मंढे,बंदरवाल बंधे। जमना जल की झारीजी ।चारो समय थाली की आरती उतरे।गेंद चौगान,दिवला सोना के।मंगला के दर्शन पीछे प्रभु के अभ्यंग होवे।

साज – श्रीजी में आज लाल रंग की चौफूली चूंदड़ी की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है | गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है | तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है |

वस्त्र:- पिछोड़ा व छज्जेदार पाग लाल चोफुली चुंदड़ी के।चुंदड़ी के वस्त्र आज से ही आरम्भ होवे।ठाड़े वस्त्र पिले।पिछवाई चितराम की।

आभरण:-सब उत्सव के,हीरा के।बनमाला को श्रृंगार।हीरा, पन्ना,मानक मोती के हार,माला,दुलड़ा धरावे।कस्तूरी,कली आदी सब माला आवे।कर्ण फूल चार हीरा के।श्रीमस्तक पे एक मोर चन्द्रिका।वेणु वेत्र तीनो हीरा के।पट उत्सव को,गोटी जड़ाऊ।आरसी चार झाड़ की।

विशेष में गोपी वल्लभ में चिरोंजी के बड़े नग। सकड़ी में केसरी पेठा,मीठी सेव आदी अरोगे।

सायं कलकती कांच के हिंडोलाना में झूले।

मंगला : भींजत कब देखो इन नेना

राजभोग- सारी मेरी भींजत है जु,

हिंडौरा- सावन तीज सुहाग, नयी ऋतु सावन तीज सुहाई, सावन नीज किशोरी झुलत, सावन तीज हिंडोरे झूलत

शयन- प्यारे पिय के संग आज झूली

Seva kram courtesy: Shrinathji Temple Nathdwara Management |

ठकुरानी तीज के पद
राग सोरठ मल्हार

देख सखी तीज महातम आयो ||
श्यामाश्याम परस्पर झूलत निरख परम सुख पायो ॥१ ॥
दिशदिश घोरघोर घन गरजत मंदमंद वरखायो ।।
दादुर मोर पपैया बोलत कोयल शब्द सुनायो ।।२ ।।
ताल मृदंग किन्नरी दुंदुभी प्रेम निसान बजायो ।।
सूरदास प्रभु युगल विराजत अखिल भुवन यशछायो ॥३ ॥

सुर मल्हार

आलीरी सावन तीज सुहाग
देखि बन धन हरित बेली होत है अनुराग || ध्रु. ||
(तहा) लाडिली वृषभान तनया सजे सकल शृंगार | सुभग तन पचरंग चुनरी, केसरी आड़ लिलार ||
मिली खत-दस बरस की सखी बनी एक ही सार | चली बर हिंडोले जुलन, राय के दरबार || 1 ||
कुरंगनेनी चंद बदनी, चलत मद गज चाल | बिहसी मधुरे बोल बोलत, करत बहुबिधी ख्याल ||
गावत सावन गीत प्रमुदित, श्रवण सुनत रसाल | चतुर चपल द्रगंचनिसों, मोह लिए नंदलाल || 2 ||
जुलत नवलकिशोर दोउ, बनी अद्भुत जोरी | देत झोंटा प्रेम रसभरी, सहचरी चउओरी ||
लाल गिरिधर रसभरे अती, केली सिंधु झकोरी | कमललोचन बिहसी चितवत, दास जनकी ओरी || 3 ||

Share with the other Beloved Vaishnavs...!

Go to Top