जन्माष्टमी व्रतम् |
आज प्रभु को पंचामृत स्नान होता है | साज सजावट सभी नई होती है | आज भारी से अतिभारी शृंगार क्रम होता है | आज मद्य रात्री मे प्रभु का जन्मोत्सव मनाया जाता है | आज मंदिरों मे संध्या आरती दर्शन पश्चात जागरण के दर्शन होते है | जो मध्य रात्री तक होते है | हवेली मंदिरो मे अपनी प्रणालिका अनुसार जागरण के दर्शन होते है | फिर संखनाद के साथ प्रभु जन्म उत्सव मनाया जाता है | तब बालकृष्णजी स्वरूप को पंचामृत स्नान कराया जाता है | समग्र रात्री उत्सव भोग धराकर प्रातः नंद महोत्सव मनाया जाता है |
वैष्णवों के घर मे सेवा मे प्रभु को रात्री तक जगाने का क्रम नहीं है | प्रभु को पोढ़ाने का क्रम होता है | हवेली – वैष्णव घरों की सेवा प्रणालिका भिन्न होती है |
श्रीनाथजी में जन्माष्टमी निमित सभी साजा नयी आती हैं. जैसे शैयाजी की गादी, चादर, श्रीजी सेवा में धराए जाने वाले लकड़ी के खिलौना, लकड़ी के पट्टे (जिन पर भोग आवे) इत्यादि | सभी द्वार में हल्दी से दोहरा डेली मंढे,बंदरवाल बंधे।सभी समय जमना जल की झरीजी ।
चारो समय थाली की आरती।गेंद चौगान,दिवाला सोना के।मंगला आरती पीछे श्रीजी को धोती उपरना धरावे व तिलक अक्षत होके, दूध,दही,घी,बुरा,शहद से पंचामृत होवे।मंगला के दर्शन पीछे फुलेल,आंवला,चन्दन,उबटना से प्रभु के दोहरा अभ्यंग होवे।चौखटा प्राचीन जड़ाऊ ।तकिया जड़ाऊ।
वस्त्र:- चागदार बाग,चोली,पटका, कूल्हे सब केसरी जामदानी के।सुथन रेशमी सुनहरी छापा की।ठाड़े वस्त्र मेघ स्याम दरियाई के।पिछवाई लाल दरियाई के ,बड़े लप्पा की।
आभरण:- सब उत्सव के।तीन जोड़ी को श्रृंगार।,हीरा, पन्ना,माणक व मोती के हार, माला आदी धरावे।कस्तूरी,कली आदी सब माला आवे।दो हालरा,बघनखा आदी धरावे।चोटीजी माणक की।श्रीमस्तक पे पाँच चन्द्रिका को जोड़ धरावे।वेणु वेत्र तीनो हीरा के।पट गोटी जड़ाऊ।आरसी जड़ाऊ व राजभोग में उस्ताजी की बड़ी दिखावे।
श्रृंगार में तिलक होवे।पण्ड्याजी वर्ष बाचे।आरती।
आज से राजभोग के अनोसर भीतर होवे।नित्य क्रम से शयन तक की सेवा होवे।फिर जागरण के दर्शन खुले।जन्म के समय 21 तोप की सलामी देवे।फिर पंचामृत होवे।
फिर महाभोग धरावे।महाभोग मे राजभोग वत सब सकड़ी,पाँच भात,केसरी पेठा,मीठी सेव आदी अरोगे।अन सकड़ी में छुट्ठी बूंदी,दूध घर कोसाज,घेवर,बाबर,सेव,मठड़ी,गुंज्जा,आदि सभी सामग्री आवे।
मंगला – नैन भर देखो नन्दकुमार (समाज के साथ)
तिलक – आज बधाई को दिन नीको
राजभोग- ऐ रीऐ आज नन्दराय के आनंद
आरती – यह धन धर्म ही ते पायो
शयन – चलो मेरे लाडिले हो
जागरण – पद्म धर्यो, मोहन नन्द्रराय, वन्दे धरन, भादो की रात, महानिस भादो, जन्म लियो शुभ
Seva kram courtesy: Shrinathji Temple Nathdwara Management |