शयन में षष्ठी को उत्सव | विष्णुस्वामि प्राकट्योत्सव | तीन समय थाली की आरती उतरे | गेंद चौगान, दिवाला सोने के | सभी समय जमना जल की झारीजी आवे | तकिया जड़ाऊ |
वस्त्र : पिछोड़ा लाल डोरिया को, रूपहरी किनारी को | श्री मस्तक पे छज्जेदार पाग | ठाड़े वस्त्र पीले | पिछवाई पिली मलमल कि |
आभरण : सब हीरा के | छेडान को शृंगार | त्रवल नहीं आवे, हीरा कि बद्धि धरावे | श्री मस्तक पे सादा मोर चंद्रिका | पट उत्सव को, गोटी जड़ाऊ | आरसी लाल मखमल की |
विशेष मे आज शयन भोग के संग षष्टि उत्सव को भोग आवे | भोग मे फेनी को थाल, बासोंदि, फीके खाजा, पतली पूड़ी, केरी को मुरब्बा, सोंठ आदि सामग्री आरोगे | गोपीवल्लभ मे घेवर, फीका मे चालनी अरोगे |

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