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भाद्रपद शुक्लपक्ष 8

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राधाष्टमी

विशेष :- भोग आरती में ढाढ़ी,ढाढन नाचे।

सभी द्वार में हल्दी से डेली मंढे,बंदरवाल बंधे।सभी समय जमना जल की झरीजी आवे।चारो समय थाली की आरती उतरे।गेंद चौगान,दिवला सोना के।अभ्यंग ।चौखटा हीरा को जड़ाऊ ।तकिया साज सब जड़ाऊ।

वस्त्र:- चागदार बाग,चोली,पटका किनारी के फूल वालो, कूल्हे सब केसरी जामदानी के।सुथन लाल रेशमी सुनहरी छापा की।ठाड़े वस्त्र मेघ स्याम दरियाई के।पिछवाई लाल दरियाई के ,बड़े लप्पा की,जन्माष्टमी वाली।

आभरण:- सब उत्सव के।दो जोड़ी को श्रृंगार हीरा, माणक को।चोटीजी हीरा की।श्रीमस्तक पे पाँच चन्द्रिका को जोड़ धरावे।वेणु वेत्र तीनो हीरा के।मोती को कमल आवे।पट गोटी जड़ाऊ।आरसी जड़ाऊ व राजभोग में सोना के डाँड़ी की।

गोपी वल्लभ के भोग सराय के,स्वामिनीजी के श्रृंगार होवे।माला को जोड़ नयो धरावे।श्रीजी के उबटना से कमल पत्र मढ़े,गुलाल अबीर चन्दन,चोवा से सूक्ष्म खेल होवे। फिर जड़ाऊ आरसी दिखा के तिलक,आरती होवे। शंख, झालर, घंटानाद के द्वारा स्वामिनीजी के आगमन का स्वागत किया जाता हैं |

विशेष भोग में बूंदी,सकरपारा,पंजीरी के नग, श्रीखंड बड़ी,खीर,दूध घर को साज,कच्चर,चालनी,शीतल,आदी अरोगे।गोपी वल्लभ में मनोहर के नग, फीका में चालनी अरोगे।सकड़ी में केसरी पेठा,मीठी सेव,पाँच भात ,सुरन को कच्चर आदी अरोगे।

शयन समय डोल-तिबारी में ध्रुव-बारी के पास में प्रिया-प्रीतम के भाव से बिछायत होती है | कांच का बंगला धरा जाता है | एवं विविध सज्जा की जाती है | जो कि अनोसर में भी रहती है | और अगले दिन शंखनाद पश्चात हटा ली जाती है |

मंगला – बधाई है बरसाने आज

राजभोग आय (भीतर तिलक) -रावल राधा प्रकट भई

आरती – श्री व्रखभान राय ज़ू के आँगन

शयन – भादो की उजियारी

Seva kram courtesy: Shrinathji Temple Nathdwara Management |

Badhai – Palna k Pad kirtan

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