।।स्नानयात्रा।। | गंगा दशमी | श्री यमुनाजी को उत्सव माने है
सभी द्वार में हल्दी की डेली मंढे,बंदरवाल बंधे।सभी समय जमना जल की झारीजी आवे।चार समय थाली की आरती उत्तरे।शयन में आम की मंडली आवे। मंगला आरती पीछे अनोसर के वस्त्र ,आभरण बड़े होव।धोती,गाती को पटका धरावे।सोना के सात आभरण धरा के दर्शन खुले।तिलकायतश्री अधिवासित जल से स्नान करावे। वस्त्र:-पिछोड़ा,स्वेत मलमल को,केसर की छाप वालो।श्रीमस्तक पे स्वेत छाप वाली कूल्हे।पिछवाई वस्त्र जेसी। आभरण:-सब उष्णकाल व उत्सव के मिलमा।बनमाला को श्रृंगार।बद्दी धरावे।कली आदी सब माला आवे।श्रीमस्तक पे तीन चन्द्रिका को जोड़।वेणु वेत्र मोती के।
विशेष भोग में हांडी,बड़े टुक, पाटिया,दही भात,श्रीखंडभात,सतुआ,दुधघर को साज,बीज, चारोली के नग, गोपी वल्लभ मे मेवाबाटी,चालनी,अँकुरी, शीतल,सवा लाख आम आदी अरोगे।

This event has passed.