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कार्तिक शुक्लपक्ष 11

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प्रबोधिनी एकादशी व्रतम् देवोत्थापनं सायं -संध्या में। श्री गुसांईजी के प्रथम लालजी श्री गिरधरजी को उत्सव (1597) तथा पंचम लालजी श्री रघुनाथजी को उत्सव (1611) | द्वादशी को क्षय होयवे सु आज |

जालर घंटा से देवोत्थापन किया जाएगा |

साज मे आज गन्ने से मंडप का निर्माण होगा | १६ गन्नों से एक जोड़ एसी ४ जोड़ लाल दोरी से एक दूसरे के साथ कुछ इस तरह बांधी जाएगी जिससे मंडप मे से प्रभु के दर्शन हो शके | मंडप की चारों ओर बास की टोकरी मे गन्ने के टूक , शकरकंद , बैंगन , भाजी धरी जाएगी |
प्रभु श्री बालकृष्णजी को पंचामृत स्नान होगा फिर अभ्यंग किया जाएगा |

सेवा क्रम :

आज अन्नकूट के वस्त्र, श्रृंगार ही होवे। पुरे दिन तुलसी की माला आवे। भोग आरती में तुलसी की गोवर्धन माला आवे।

वस्त्रः- चागदार बागा, चोली, कूल्हे सब फुलकशाही, रूपहरी जरी के। सुथन लाल सलीदार जरी की। पटका सुनहरी जरी को। ठाड़े वस्त्र अमरसी। गोकर्ण लाल जरी के। पिछवाई चितराम की, बड़ी गायन की। अब शीतकाल में चितराम की पिछवाई नहीं आवे।

आभरणः- श्रृंगार दो जोड़ी के। एक माणक की, एक पन्ना की। सब आभरण को मेल अन्नकूट जेसो मिलानो। टोडर, त्रवल दोनों आवे। चोटीजी धरावे। बनमाला को श्रृंगार। कस्तूरी, कली आदी सब आवे। श्रीमस्तक पे पांच मोर चन्द्रिका को जोड़ धरावे। वेणुजी हीरा के, वेत्र एक हिरा को, एक सोना को। पट नित्य को, गोटी जडाऊ।

आरती पीछे श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े करके, छेड़ान के श्रृंगार करने। कूल्हे रहे जासु लूम तुर्रा नहीं आये। पिछवाई फुलक शाही जरी की धरावे।

शयन भोग में पेठा बड़ी को शाग अरोगे। केसर युक्त पेठा आवे।

मंगला – प्रथम गौचारण चले गोपाल

राजभोग – सोहत लाल लकूट कर राती

शयन – कैसे कैसे गाय चराई

पोढवे – राय गिरधरन संग राधिका रानी
आज के दिन सेवा मे प्रभु श्रीनाथजी सन्मुख विवाह के पद एवं सेहरा के पद गाए जाएंगे |
Seva kram courtesy: Shrinathji Temple Nathdwara Management |

धन त्रयोदशी से देव प्रबोधिनी एकादशी के पद

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