नवरात्रारम्भः । मातामह श्राद्ध। अंकुर रोपण
आज माटी के १० मिट्टी के बर्तन मे बीज रोपण होता है | १० दिन तक यह बीज की वृद्धि होती है जो हमारे भाव की वृद्धि के भाव से है | फिर दशेरा के दिन जवार के शृगार श्री मस्तक पर धराए जाते है | यह १० वर्तन १० गुण के भक्त के भाव से होते है | जो सात्विक, राजस, तामस से ९ गुण बनते है और १ निर्गुण इस तरह १० गुण के भक्तों के भाव से होते है |
आज से प्रभु ९ दिन एक एक सखी के मनोरथ स्वरूप रोज भिन्न स्थली पर पधारकर नव विलास की लीला करेंगे | वा दिन की सखी के भावसे प्रभु को सामग्री धरी जाएंगी | रोज के वस्त्र के रंग भी भिन्न और निर्धारित होते है |
प्रथम विलास
मुख्य सखी : श्री चन्द्रावलीजी
रास की स्थली : वृंदावन
वस्त्र के रंग : लाल
मख्य सामग्री : चंद्रकला नव विलास , दशहरा, शरद पूर्णिमा के पद : https://vrajdwar.org/hi/adhyayan/padhya-sahitya/