पुष्टिमार्ग नव विलास आरंभ – प्रथम विलास

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तिथि : अश्विन शुक्ल पक्ष एकम

सांझी के दिनों मे श्री राधाजी गोपिकाओ के संग संध्या देवी की पूजन करके रास के दिनों मे रासेश्वर रसराज प्रभु श्री कृष्ण का सानिध्य प्राप्त किया | इसी फल स्वरूप इन नौ दिनों मे प्रभु सभी गोपिजनों के रास मनोरथ पूर्ण करते है | प्रति दिन नई स्थली पर प्रभु गोपियों के साथ रास रचते है | गोपिया प्रति दिन  नूतन विभिन्न भोग धरती है |

पुष्टिमार्ग मे प्राचीनतम सनातन धर्म की पुरातन काल से वेदों से प्रेरित रीति सम्मिलित की गई है | जिसमे उत्सवों मे पंचामृत स्नान, अधिवासन, जवारा रोपण की रीत भाव से निभाई जाती है | इस के अनुसार नवरात्रि के दिनों मे आज के दिन का सेवा क्रम मे अपनी एक विशेषता है |

अंकुर रोपण

नाथद्वारा एवं सभी पुष्टिमार्ग मंदिरों मे तथा वैष्णवों के घर मे जहा अपने सेव्य स्वरूप ठाकोरजी की सेवा होती है वहा आज से माटी के १० मिट्टी के बर्तन मे जवारा के बीज का रोपण होता है | १० दिन तक यह बीज की वृद्धि होती है |

जो हमारे भाव की वृद्धि के भाव से है | फिर दशेरा के दिन जवार के शृगार कलगी के रूप मे प्रभु के श्री मस्तक पर धराए जाते है | यह १० बर्तन १० गुण  के भक्त  के भाव से होते है | जो सात्विक, राजस, तामस से ९ गुण बनते है और १ निर्गुण इस तरह १० गुण के भक्तों के भाव से होते है |

नव विलास क्रम 

आज से प्रभु ९ दिन एक-एक सखी के मनोरथ स्वरूप रोज भिन्न स्थली पर पधारकर नव विलास की लीला करेंगे | वा दिन की सखी के भावसे प्रभु को सामग्री धरी जाएंगी | रोज के वस्त्र के रंग भी भिन्न और निर्धारित होते है |

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प्रथम विलास

मुख्य सखी :         श्री चन्द्रावलीजी
रास की स्थली :    वृंदावन
वस्त्र के रंग :        लाल
मख्य सामग्री :      चंद्रकला

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श्रीनाथजी दर्शन – प्रथम विलास 

श्रीनाथजी दर्शन प्रथम विलास

अब प्रातः हल्की शीत रहती है | अतः आज से प्रभु के सेवाक्रम में कुछ परिवर्तन हो रहा है | चूंदड़ी, लहरिया के वस्त्र व पिछोड़ा परसों इस ऋतु में अंतिम बार धराये गए | आज से ललिताजी के सेवा प्रारंभ होती है | आज से नव विलास का उत्सव आरंभ हो रहा है |

प्रभु इन नौ दिनों मे प्रतीदिन नूतन सामग्री धराई जाएगी | प्रभु को प्रतिदिन विविध रंगों के छापा के वस्त्र धराए जाएंगे |

नाथद्वारा में आज से हल्की गुलाबी सर्दी का आरंभ माना जाता है | अतः मंगला समय पीठिका के ऊपर श्वेत दत्तु  (बिना रुई की ओढनी) ओढायी जाती है |

आज से प्रतिदिन दोनों अनोसर में सिंहासन से शैयाजी तक पेंडा (रुई से भरी पतली गादी) बिछाई जाती है | जिससे हल्की ठंडी भूमि पर ठाकुरजी को शीत का आभास ना हो |

आज प्रभु के सभी द्वार में हल्दी की मेड मढ़े एवं बंदरवाल बंधे।प्रभु के फुलेल(सुगन्धित तेल),आवला एवं केसर युक्त चन्दन से अभ्यंग होवै।प्रभु के चारो समय थाली की आरती होव।झारीजी सभी समय जमना जल की भरे।

साज :– आज श्रीजी में लाल रंग की छापा की त्रिशूल वाली सफेद ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित एवं हरे रंग के हांशिया वाली (किनारी वाली) पिछवाई धरायी जाती है | गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है |
सिंहासन, चरणचौकी, पड़घा, झारीजी, बंटाजी आदि सर्वसाज जड़ाव स्वर्ण के धरे जाते हैं | प्रभु के सम्मुख चांदी की त्रस्टीजी धरे जाते हैं जो कि दिन के अनोसर में ही धरे जाते हैं |

वस्त्र:- लाल छापा के खुले बन्ध,कूल्हे ,सुथन हरीआवे।ठाड़े वस्त्र स्वेत। पीठक की चादर छापा की ओढ़े । पिछवाई लाल छापा की,हँसिया हरो। शैय्या जी पे भी छापा की चादर ओढ़े।

आभरण:- सब उत्सव के। हीरा पन्ना माणक, मोती नीलम के हार, माला दुलडा आवे।कली, कस्तूरी आदि सब मालाआवे। श्रीकर्ण में हीरा के कुण्डल।। हीरा को चौखटा आवे।वेणुजी एवं वैत्र हीरा के धरावे। हीरा की चोटिजी।कूल्हे पे पाँच मोर चन्द्रिका को जोड़ ।

-सखड़ी में मीठी सेव एवं पैठा को बिलसरु आवे और खण्डरा प्रकार होवै। केसर युक्त बासोदि की हाडी आवे।

मंगला – जान्यो-जान्यो री सयान

राजभोग – आज की बानक लाल

आरती – पूजन चलो हो कदंब बन

शयन – ऐ मोपे आज की बानक

मान – आज सुहावनी रात 

पोढवे – राय गिरधरन समग राधिका रानी

Seva kram  courtesy: Shrinathji Temple Nathdwara Management | Shrinathji Nitya Darshan Facebook Page  

नव विलास के पद

नव विलास के पद, दशेरा के पद , शरद पूर्णिमा के पद , रास के पद की ई-बुक  नीचे दी गई है | एवं आपको हमारे पध्य साहित्य सेक्शन मे से भी प्राप्त हो शक्ति है |

Nav Vilas Vijya Dashmi Sharad Purnima ke pad