नृसिंह जयंती
तिथि : वैशाख शुक्लपक्ष चतुर्दशी – नृसिंह जयंती
पुष्टिमार्ग मे नृसिंह जयंती उत्सव का महत्व , सेवा क्रम , उत्सव से जुड़ा भाव , उत्सव के पद , इतिहास |
श्री महाप्रभुजी ने पुष्टिमार्ग मे भगवान विष्णु के 10 अवतार मे से चार अवतार
- नृसिंह अवतार
- वामन अवतार
- राम अवतार
- कृष्ण अवतार
को अधिक महत्व दीया है | इसके पीछे का भाव यह है की इन अवतार कार्यों मे प्रभु ने अपने भक्त जो निसाधन है | निसाधन भक्ति है उन पर प्रभु ने अत्यंत कृपा बरसाई है | कृपा का एक अर्थ ही पुष्टि है |
भगवान नरसिंह ने अपने भक्त प्रहलाद की निसाधन भक्ति से प्रसन्न हो कर उनके ऊपर कृपा बरसाई है | कुछ कथा के अनुसार भगवान नृसिंह का क्रोध हिरण्यकश्यपू के वध के उपरांत भी शांत नहीं हुआ था |
तब भक्त प्रहलाद ने विनंती की तब भक्त पहलाद पर प्रीति के कारण उनका क्रोध शांत हुआ | तब उन्होंने प्रहलाद जी को गोदी मे बिठाकर अत्यंत स्नेह किया था |
प्रभु की यही लीला पुष्टि लीला है | इसलिए पुष्टिमार्ग मे इन चार अवतार के प्रकट्य उत्सव को इन चार जयंती मे पुष्टिमार्ग मे उपवास की रीत है |
उपवास करने का मुख्य कारण यह है की इन उत्सव पर प्रभु हमारे बीच पधारे, उनके दर्शन करने उनके सन्मुख जाते है | तो उनके सन्मुख होने से पूर्व हम उपवास करके हमारी आंतरिक सुध्धी करके प्रभु के सन्मुख हो |
जैसेकी हम सब जानते है , भगवान नृसिंह का प्राकट्य संध्या काल मे हुआ था | इस कारण से संध्या आरती के दर्शन पश्चात शयन से पूर्व भगवान नृसिंह के जन्म के दर्शन होते है | इस समय मे प्रभु के सन्मुख संख , झांझ , जालर , घंटा की मधुर ध्वनि के साथ शालिग्राम जी को पधराकर पंचामृत स्नान होता है , फिर तिलक और तुलसी समर्पित करके पुष्प माला धराई जाती है |

नृसिह जयंती ; भगवान नृसिंह जन्म दर्शन नाथद्वारा – शालिग्रामजी पूजन
प्रभु को जन्म के उपरांत जयंती फलाहार के रूप में दूधघर में सिद्ध खोवा (मिश्री-मावे का चूरा) एवं मलाई (रबड़ी) का भोग अरोगाया जाता है |
जब श्रीजी ब्रिज मे बिराजमान थे तब आपको मथुरा मे गुसाईजी के घर सतघरा देखने का मनोरथ हुआ था | इसलिए गिरधरजी ने श्रीजी को सतघरा मे 2 माह 21 दिन तक सेवा की | फिर भक्त वत्सल श्रीनाथजी ने चतुर्भुजदास की विरही दशा देख कर नृसिंह चतुर्दशी के दिन पुनः गिरीराजजी के ऊपर मंदिर मे पधारे थे | और उस दिवस राजभोग एवं शयन भोग एक साथ धराया गया था | वह अवसर की स्मृति मे आज भी इस दिवस आधा राजभोग जितनी सखड़ी सामग्री प्रभु को आरोगाई जाती है |
श्री नृसिंह भगवान उग्र अवतार हैं और उनके क्रोध का शमन करने के भाव से शयन की सखड़ी में आज विशेष रूप से शीतल सामग्रियां – खरबूजा का पना, आम का बिलसारू, घोला हुआ सतुवा, शीतल, दही-भात, श्रीखण्ड-भात आदि अरोगाये जाते हैं |