Loading...

कार्तिक शुक्लपक्ष 9

Loading Events

अक्षय नवमी | कृत युगादि । कृष्माण्डदानम् । अक्षय नवमी | कृत युगादि

जब श्री कृष्ण ने सभी बृजवासी को इन्द्र के स्थान पर गोवर्धन पूजन के लिए मनाया तब इन्द्रदेव को अभिमान आया और उन्होंने भयंकर वर्षा समग्र ब्रिजमंडल मे करी | तब श्री कृष्ण ने गोवर्धन धारण करके समग्र ब्रिज को सनाथ किया |
तब इन्द्र देव का मान भंग हुआ और उनको भूल समज आई तब उनकी माता ने उनको कहा की श्री कृष्ण से क्षमा मांगों और साथमे सुरभि गौमाता को ले जाओ प्रभु गौ अति प्रिय है | तब इन्द्रदेव ऐरावत और सुरभि माता के साथ प्रभु के शरण मे आए और क्षमा याचना की | प्रभु गौ और इंद्रिय के स्वामी है तब से प्रभु का एक और नाम हुआ “गोविंद” | इन्द्र देव ने सुरभि गौ माता के दूध से और ऐरावत द्वारा जल अभिषेक से “गोविंदाभिषेक” किया | उस अभिषेक से एक कुंड की रचना हुई जो “गोविंद कुंड’ से प्रचलित हुआ |

तद पश्चात से एसा भी कहा गया है की इन्द्र देव ने प्रभु के एक स्वरूप श्री गोकुलनाथजी स्वरूप की सेवा की जो आज के समय मे गोकुल मे बिराजमान है | इंद्रमान भंग के पद :

धन त्रयोदशी से देव प्रबोधिनी एकादशी के पद

Share with the other Beloved Vaishnavs...!

Go to Top