परिवर्तिनी एकादशी व्रतम् (दान एकादशी)
सेवा क्रम :
सभी द्वार में हल्दी से डेली मंढे,बंदरवाल बंधे।सभी समय जमना जल की झरीजी आवे।चारो समय थाली की आरती उतरे।गेंद चौगान,दिवाला सोना के। अभ्यंग ।
साज :– आज प्रातः श्रीजी में दानघाटी में दूध-दही बेचने जाती गोपियों के पास से दान मांगते एवं दूध-दही लूटते श्री ठाकुरजी एवं सखा जनों के सुन्दर चित्रांकन वाली दानलीला की प्राचीन पिछवाई धरायी जाती है |
राजभोग में पिछवाई बदल के जन्माष्टमी के दिन धराई जाने वाली लाल दरियाई की बड़े लप्पा की सुनहरी ज़री की तुईलैस के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है |
गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है |
वस्त्र:- छोटी काछनी,सुथन,पीताम्बर,सब केसरी रूपहरी किनारी के।बड़ी काछनी लाल सुनहरी किनारी की।ठाड़े वस्त्र स्वेत जामदानी के।पिछवाई श्रृंगार में चितराम की दान के भाव की।
आभरण:- सब उत्सव के।माणक की प्रधानता।बनमाला को श्रृंगार।कली, कस्तूरी आदी सब माला आवे।बघनखा धरावे।मुकूट,टोपी मानक के,गोकुल नाथजी वाले।दान के दिन में चोटीजी नहीं आवे।मुकूट पे मुकूट पीतांबर धरावे।वेणु वेत्र माणक के,एक हीरा को।गोटी दान की।आरसी चारझाड़ की।
श्रृंगार के दर्शन में बड़ो कमल धरावे।राजभोग सराय के श्री बालकृष्ण लाल के दूध,दही,घी,बुरा,शहद से पंचामृत होवे।तिलक होवे,तुलसी समर्पे।
विशेष भोग में दही भात,शीतल,दुधघर को साज,हाँड़ी,पके गुंज्या कच्चर,चालनी आदि अरोगे।सकड़ी में केसरी पीठ,मीठी सेव दोहरा अरोगे,गोपी वल्लभ में बुदी के बड़े नग, फीका में चालनी अरोगे।
भोग आरती के दर्शन में हीरा को वेत्र श्रीहस्त में ठाडो धरावे।
मंगला – गोविन्द तिहारो स्वरूप निगम
१ राजभोग – प्रगटे श्री वामन अवतार
२ राजभोग – बली के द्वारे, कहाँ धो री मोल
आरती – पद्म धर्यो
शयन – चरण कमल बंदो
मान – आज सुहावनी रात
पोढवे – मदन मोहन श्याम पोढे
Seva kram courtesy: Shrinathji Temple Nathdwara Management | Shrinathji Nitya Darshan Facebook page | इन दान के 20 दिनों मे हमे हमारे सेव्य स्वरूप को दान की सामग्री नित्य धरनी चाहिए | दान की सामग्री अगर हो शके तो कुल्लड मे ही धरे | कुल्लड मे धरने से हमे भी ब्रिज का भाव होता है | प्रभु को तो आनंद मिलेगा ही |
नोंधनीय बात यह है की एक बार जो कुल्लड मे सामग्री धरे फिर वह पात्र प्रसादी हो जाता है | उसको खासा करके भी नहीं धर शकते | नया कुल्लड ही सामग्री धरने मे ले | 20 दिनों के 20 कुल्लड की ही आवश्यकता है | दान के पद हमारे पध्य साहित्य सेक्शन मे मिल जाएंगे | https://vrajdwar.org/hi/adhyayan/padhya-sahitya/