नाग पंचमी | श्रीनाथजी की ऊर्ध्व भुजा दर्शन |
सेवा क्रम :
साज – आज श्रीजी में श्री गिरिराजजी की एक ओर आन्योर ग्राम एवं दूसरी ओर जतीपुरा ग्राम | दोनों ग्रामों से व्रजवासी श्रीजी की उर्ध्व भुजा के दर्शन करने जा रहे हैं | ऐसे सुन्दर चित्रांकन से सुशोभित पिछवाई धरायी जाती है |
गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है |
वस्त्र:- पिछोड़ा कोयली,सुनहरी पठानी किनारी को।श्रीमस्तक पे कोयली छज्जेदार पाग,सुनहरी जरी की बाहर की खिड़की की।ठाड़े वस्त्र लाल।पिछवाई चितराम की उर्धभुजा प्राकट्य की।
आभरण:- सब मोती के।मध्य को श्रृंगार।चार कर्ण फूल आवे।त्रवल नहीं आवे,बध्धी धरावे।श्रीमस्तक पे जमाव को क़तरा,डाँख को व लूम,तुर्री सुनहरी।कली की माला धरावे।वेणु वेत्र स्याम मीना के।पट कोयली,गोटी चाँदी की।
अनोसर में पाग पे से सुनहरी खिड़की बड़ी करके धरानी।
विशेष में सेव की खीर अरोगे।
मंगला – बोले माई गोवर्धन पर मूरवा
राजभोग – देखो अद्भुत अवगत की गत
हिंडोरा – झुलत है राधा सुंदर, झुलत लाल गोवर्धनधारी, गृह-गृह ते आई व्रज सुंदर, झुलत रंग हिंडोरे सुंदर
शयन – माई री झूलत रंग हिंडोरे
Seva kram courtesy: Shrinathji Temple Nathdwara Management |
नाग पंचमी हिंडोला के पद :
राग : काफी
नीलांबर पहेर तन गोरें झूलत सुरंग हिंडोरें ॥
मनि मानिक हीरा रतन मुक्ताफल शोभितहे तन गोरें ॥१ ॥
सुद तिथी नागपंचमी दिन दयाल दरस दीवो जोरें ॥
जन्म दिवस जान बलदाऊ को मदन मोहन कृपा करी अतोरें ॥ २ ॥
झुलत रंग बढ्योजु परस्पर झुलावन मिले आय चहुं ओरें ॥
हरिदास प्रभुकी यह शोभा चीत चोर्यो इन नयनकी कोरें ॥३ ॥