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चैत्र शुक्लपक्ष 9

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रामनवमी व्रतम्।

सभी द्वार में डेली मंढे,बंदरवाल बंधे।चारो समय थाली की आरती उतारे।जमनाजल की झरीजी।गेंद चौगान,दिवला सोना के।अभ्यंग।राजभोग में सिल्लू की मंडली,पाट आवे।राजभोग के दो दर्शन होवे।

वस्त्र:-खुले बन्ध(तनी बाँध के घरानों),कूल्हे ,केसरी जामदानी की।सुथन लाल छापा की।पटका किनारी के फूल वालो,केसरी।ठाड़े वस्त्र स्वेत जामदानी के।पिछवाई लाल दरियाई की,बड़े लप्पा की(जन्माष्टमी वाली)।

आभरण:-सब उत्सव के।बनमाला को श्रृंगार।हीरा की प्रधानता।नीचे पदक,ऊपर माला,दुलड़ा,हार उत्सव वत धराने।कस्तूरी,कली सब आवे। बघनखा धरावे।कुंडल उत्सव के।
बाजू, पोची,पान, शीशफूल हीरा माणक के।चोटीजी हीरा की।
श्रीमस्तक पे पाँच चन्द्रिका को जोड़।वेणु वेत्र तीनो हीरा के।मोती को कमल धरावे।पट उत्सव को,गोटी जड़ाऊ।आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की,राजभोग में सोना के डाँड़ी की।

राजभोग सराय के पहले राजभोग के दर्शन खुले । बालकृष्ण लाल के पंचामृत होवे।शुद्ध स्नान करके पीताम्बर ,माला धरावे।दोनों स्वरूप के तिलक,अक्षत होवे।दर्शन बंद होवे उत्सव भोग आवे।भोग में बूंदी,सकरपारा,दूध घर को साज,कच्चर चालनी,शागघर की सामग्री,फल फूल, दही भात,शीतल आदी अरोगे।फिर दूसरे राजभोग के दर्शन में आरती हो के नित्य क्रम से अनोसर होवे।

Source: Nathdwara Management

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