Loading...

चैत्र शुक्लपक्ष 6

Loading Events

श्री गुसांईजी के छट्टेलालजी श्री यदुनाथजी को उत्सव (1615) केसरी गणगौर एवं यमुना छठ्ठ ।
सभी द्वार में डेली मंढे,बंदरवाल बंधे।दो समय थाली की आरती उतरे।दूध घर की हांडी अरोगे।

वस्त्र:-खुले बन्ध, सुथन,कूल्हे सब केसरी मलमल के।ठाड़े वस्त्र मेघ स्याम।पिछवाई केसरी फूलवाली,उत्सव की।

आभरण :-सब माणक के।बनमाला के श्रृंगार।कली, कस्तूरी सब आवे।श्रीमस्तक पे माणक को पान व सुनहरी घेरा। श्रीकर्ण में माणक के कुंडल धरावे।
चोटीजी मीना की।वेणु वेत्र माणक के,एक सोना को।पट पिलो,गोटी स्याम मीना की।आरसी श्रृंगार में पीले खंड की,राजभोग में सोना के डाँड़ी की।
आरती पीछे श्रीकंठ के आभरण बड़े होवे। छेड़ने के श्रृंगार होवे। लूम तुर्रा नहीं आवे।कूल्हे रहे।
Source : Nathdwara Management |

PushtiMarg Aacharyas

Share with the other Beloved Vaishnavs...!

Go to Top