Govardhan Parikrama
Govardhan Parikrama

Govardhan Parikrama

Govardhan Parikrama | Shri Giriraj ji Parikrama | Vrajbhumi Jatipura me Giriraj ji mukharvind se Aarambh hoti Shri Giriraj Govardhan ki sapt koshi parikrama ka map. | Vraj Map | VrajDwar Map | Giriraj ji parikrama map.

श्री गिरिराजजी की सप्त कोशी परिक्रमा

श्रीनाथजी चरण चौकी मंदीर गोवर्धन – महाप्रभुजी की बेठकजी

Shrinathji Mandir on Govardhan & Mahaprabhuji Bethakji | चरण चौकी | समग्र पुष्टिमार्गीय भाव के साथ

नोंध: ध्यान रखे यह मंदीर गिरीराजजी के ऊपर होने के कारण गिरीराजजी की परिक्रमा के दौरान दर्शन करने नहीं जाना चाहिए |  परिक्रमा के दौरान नहीं परंतु अलग से यहा दर्शन करने जाए | वल्लभकुल की आज्ञा ले कर जाए |

Address: Shri Nathji na Mandirma, On Shri Giriraj Parvat. Post G.B. (jatipura) 281001, Dist., Jatipura, Uttar Pradesh

Contact no.: 9897166519 , 8279784074 Govind Mukhyaji

स्वरूप : श्रीगोवर्धननाथजी , श्रीनाथजी चरणचौकी नं 1 , श्री महाप्रभुजी बेठकजी नं 15 

श्री महाप्रभुजी की कृपा से श्री गोवर्धननाथजी के प्राकट्य के पश्चात वैष्णव श्री पुरणमल क्षत्रीय को निमित बनाकर सिद्ध हुए इस मंदिर मे प्रभु श्री गोवर्धननाथजी 150 वर्ष तक बिराजे | और कई लीलाए करी | यहा पर श्री महाप्रभुजी , श्री गुसाइजी , अष्ट सखा और 84-252 वैष्णव के कई प्रसंग इस मंदिर के साथ जुड़े हुए है | यहा श्री महाप्रभुजी की 15वी बैठक बिराजमान है जो प्रभु के सैया मंदिर मे है | 

यह मंदिर श्री गिरीराजजी के ऊपर होने के कारण वैष्णवन को श्री वल्लभकुल की आज्ञा से ही ऊपर मंदिर मे जाना चाहिए |जारीजी भरने के नियम  : यहा नीचे सुंदरशीला की बैठक मे की गई अपरस  से जारीजी भरी जा शक्ति है  |  

स्थली शेर करे…

1. श्री गिरीराजजी मुखारविंद मंदीर

Address: Govardhan Parikrama Marg, Jatipura, Uttar Pradesh 281502

स्वरूप : श्री गिरीराजजी 

Darshan Timings : 

Shitkal : 

Morning : Mangla Arti : 5:30 am

Evening  : Sandhya Aarti : 6:00 pm –  6:30 pm 

Ushnakal : 

Morning : Mangla Aarti : 6 : 30 am

Evening : Sandhya Aarti : 6:00 pm

Darshan Timings may vary.

स्थली शेर करे…

2. सुंदरशिला बेठकजी 

Address: Govardhan Parikrama Marg, Jatipura, Uttar Pradesh 281502

Contact No.: 9758333134 Mahesh bhai mukhyaji | 9634559966 Narhari Mukhyaji

स्वरूप : श्री महाप्रभुजी बेठकजी नं. 14, श्री गुसाइजी बेठकजी नं.7  

जारीजी भरने के नियम : धरमशाला से की गई अपरस से जारीजी भरे जा शक्ति है

महाप्रभुजी बेठकजी चरित्र :

श्री गिरिराजजी के मुखारविन्द के सन्मुख छोंकर वृक्ष के नीचे यह बैठक स्थित है, श्री महाप्रभुजी ने यहाँ ही श्री गोवर्द्धन पूजा कर ” सवा सेर भात ” का अन्नकूट किया था। यहाँ ही प. भ. श्री दामोदरदास हरसानी ने महाप्रभुजी को निंदित जानकर श्रीनाथजी को रूकवाने का संकेत दिया था।

VallabhKul:  H.D.H Param Pujya Tilkayat Shri Indradamanji Maharajshri

स्थली शेर करे…

3. दंडवती शीला 

Address: Govardhan Parikrama Marg, Jatipura, Uttar Pradesh 281502

स्वरूप : श्री गिरीराजजी 

श्रीमद वल्लभाचार्यजी तेज पुंज  प्रवेशद्वार : जब श्री महाप्रभुजी ने भूतल से स्वधाम गमन लीला की तब आपका स्वरूप तेज पुंज रूप से यही गिरीराजजी मे समाया |

स्थली शेर करे…

4.  गोकुलनाथजी बेठकजी  

स्वरूप : चतुर्थ कुमार श्री गोकुलनाथजी 

 Shri Gokulnathji Bethakji no.5

दंड़वती शीला के सामने थोड़ा आगे   बेठकजी है |

जब आपश्री गोवर्धन पूजन के लीए गोकुल से यहा पधारते या श्रीजी बावा की सेवा मे पधारते तब आपश्री यही मुकाम करते और यही बिराजते | 

Contact no. : 9045114490 Pravinbhai  Mukhyaji.

स्थली शेर करे…

5. मानसी गंगा  बेठकजी  

Address: Vallabh Ghat, Mansi Ganga, (Near Chakleshwar Mahadev) Post Goverdhan Dist., Uttar Pradesh 281502

Contact No.: 9760876622 Jagdishbhai Mukhyaji, 9058608572 Mohitbhai Mukhyaji

स्वरूप : श्री महाप्रभुजी बेठकजी नं.10 , अष्टछाप कवि श्री नंददासजी लीला प्रवेशद्वार

श्रीनाथजी के अष्ट सखाओ मे से नंददासजी का नित्य लीला द्वार यही है |

Darshan Timings : 

Morning : 8:00am – 12:00pm

Afternoon : 4:00pm-6:00pm

जारीजी भरने के नियम :  अपरस यही करके जारीजी भरने का क्रम है

बेठकजी चरित्र :

इस स्थान पर बिराजकर आपश्री ने सात दिनों तक भागवत पारायण किया था। चकलेश्वर महादेवजी प्रतिदिन भागवत पारायण सुनने पधारते। श्रीकृष्ण चैतन्य इसी स्थान पर सवा लाख जप का संकल्प लेकर छह माह से बैठे थे। वह आपश्री को आये हुए जानकर वहाँ आए और बोले कि पुराण में वर्णन है कि मानसी गंगा दूध से भरी हुई है। लेकिन मुझे जलाशय क्यों दिखता है? और मानसी गंगा ने मुझे स्वप्न के माध्यम से बताया है कि श्री महाप्रभुजी यहां पधारेंगे | आपका मनोरथ पूर्ण करेंगे | तो आपश्री वहां उपस्थित सभी वैष्णव और कृष्ण चैतन्य को कमण्डल के जल को नेत्र से स्पर्श कराया | उन सभी को दिव्य दृष्टि प्राप्त हो गयी। दूध से भरी मानसी गंगा के दर्शन करके सब लोग उसमें स्नान करके पवित्र हो गये | फिर यह लीला तिरोधन की | भगवान श्रीकृष्ण ने मानसी गंगा को अपने मन से प्रकट किया था।

Vallabhkul: Jagadguru Pancham peethadhishwarji H.D.H Param Pujya Shri Vallabhacharyaji Maharajshri (Kamvan)

स्थली शेर करे…

6. श्री उद्धव कुंड

Address: Uddhava Kunda, Goverdhan Brahmnan, Uttar Pradesh 281504

स्वरूप: श्री उद्धव बिहारीजी मंदीर, श्री राधा कृष्ण युगल स्वरूप

उद्धवजी एक ही दिन का सोच कर आए थे की गोपीयन को समजाकर चले जाएंगे परंतु गोपीयन के संग वार्तालाप से, गोपियों हृदय के इसे भाव से, ब्रिज के स्वरूप को जानकार, एवं श्री राधारानी के दर्शन करके 6 मास तक यही रुक गए | बादमे श्री राधारानी की आज्ञा से श्री कृष्ण को मिलने द्वारिका जाने के लिए प्रस्थान कर रहे थे तब उन्होंने कामना की थी ब्रिज की कोई भी वनस्पति, जाडी, लता के रूप मे यही बस जाए और जिससे उन्हे गोपीयन की चरण धुली प्राप्त हो, इसी कारण से इस स्थल के पास मे ही गोपीयो के चरण धुली से अभिषिक्त होने हेतु तृणगुल्म के रूप मे सदा बिराजमान है |   

Darshan Time : 

Darshan is open everytime from morning to late evening. Darshan timings may vary.

स्थली शेर करे…

7. श्री ललिता कुंड

Address: Radha Kund, Uttar Pradesh 281504

स्वरूप: श्री राधाकृष्ण युगल स्वरूप ललिताजी के संग 

कहा जाता है की ललिता सखी नित्य यही स्नान करने पधारती, यह स्थली नन्द गाव मे पड़ती है , यहा से नन्द महल के दर्शन हो शकते है |  श्री ललिता सखी युगल स्वरूप की मध्यवर्ती जीव है, श्री ललिताजी दोनों के मिलन हेतु कोई ना कोई मनोरथ के प्रबंध जरूर करती है, यही पासमे जुलन स्थली है , जहा ललिताजी युगल स्वरूप को जुला जुलाती है, यहा ललिता बिहारी मंदिर स्थित है , यही पर ठाकुरजी ने नारदजी को विनोद प्रसंग का आनंद प्राप्त कराया था | 

Darshan Time : 

Darshan is open everytime from morning to late evening. Darshan timings may vary

स्थली शेर करे…

8. गोप कुवों

Address: Radha Kund, Uttar Pradesh 281504

जब श्री ठाकुरजी गाय चराने आते थे तब श्री राधारानी अपनी सखियों के साथ ठाकुरजी को इस कुए से जल पिलाती | यहा श्री गिरीराजजी बिराजमान है |

स्थली शेर करे…

9. श्री राधा कृष्ण कुंड बेठकजी

Address: Sham Kund, Radha Kund, Uttar Pradesh 281504

Contact No.: 9897407556 Shri Dau dayalji Mukhyaji

स्वरूप: श्री महाप्रभुजी बेठकजी नं.9  | श्री गुसाइजी बेठकजी नं.4  | श्री गोकुलनाथजी बेठकजी नं.3 

Darshan Timings : 

Morning : 8:00am – 12:00pm

Afternoon : 4:00pm-6:00pm

Darshan Timings may vary.

बेठकजी चरित्र दर्शन :

आपश्री ने यहा पर एक मास तक भागवत पारायण किया था | भागवत पारायण के दौरान एक दिन भोर में जब आप श्री छोकर के वृक्ष के नीचे बिराज रहे थे तब श्री ठाकोरजी और श्री स्वामिनीजी एक-दूसरे के हस्त पकड़ कर स्मरण करते करते गिरीराजजी के शिखर पर पधार रहे थे | अतः आपश्री श्री ठाकोरजी के ह्रदय के भाव समज जाने पर श्री कुंड हो कर प्रभु के पास पधारे |  उस समय उनके वैष्णवों को भी श्रीठाकोरजी के दर्शन हुए। और उनको मूर्छा आ गई |  कमंडल का  जल छिड़कते सचेत हुए । यह प्रसंग श्री दामोदरदास को कहा था |

Vallabhkul: H.D.H Param Pujya Tilkayat Shri Indradamanji Maharajshri

स्थली शेर करे…

10. श्री राधा कृष्ण कुंड

Address: Radha Kund, Uttar Pradesh 281504

जब श्री कृष्ण ने बेल के रूप मे आए असुर का उद्धार किया तब श्री राधारानी ने कहा की आपको गौ हत्या का अपराध लगा है आपको सभी पावन नदी मे स्नान करके पवित्र होना होगा | तब श्री कृष्ण ने वेणु से खोद कर कुंड की रचना करते है | तब सभी पावन नदिया अपने आधी दैविक रूप मे यहा पधारती है और अपना जल इस कुंड मे स्थित करते है | फिर प्रभु इस कुंड मे स्नान करते है | इस कारण से इस कुंड का नाम श्याम कुंड पड़ता है | फिर राधारानी अपनी सखियाँ के संग पास मे ही दूसरे कुंड बनाने के लिए अपने नख से खुदाई करती है और मानसी गंगा से जल लाती है |  दोनों कुंड बिचमे एक पतली जगह से जुड़े हुए है जिससे जल परस्पर रहता है | दूसरे कुंड का नाम राधा कुंड पड़ता है | यह सभी दिव्य स्थानों मे दिव्य माना गया है |  

Darshan Time : 

Darshan is open everytime from morning to late evening.

स्थली शेर करे…

11. कुसुम सरोवर

Address: Goverdhan Brahmnan, Mathura, Uttar Pradesh, 281504

श्री राधारानी अपनी सखियों के संग फूल चुनने यही आती | प्रभु श्री राधारानी का फूलों से शृंगार करते | यह फूल कुसुम के है | जो कुंड के पास मे ही विशाल संख्या मे थे | इस कारण से इस कुंड को भी कुसुम सरोवर नाम पड़ता है ||

Darshan Time : 

Darshan is open everytime from morning to late evening.

स्थली शेर करे…

12. मानसी गंगा मंदीर 

Address: Goverdhan Parikrama Marg, Govardhan, Uttar Pradesh 281502

श्री  गंगाजी को श्री युगल स्वरूप की सेवा करने के मनोरथ के कारण श्री कृष्ण अपने मन से यहा गंगाजी को प्रकट करते है | इस कारण से मानसी गंगा नाम पड़ता है |

Darshan Time

Darshan is open everytime from morning to late evening.

स्थली शेर करे…

13. दानघाटी मंदीर 

Address: Mathura – Deeg Marg, Deeg Adda, Govardhan, Uttar Pradesh 281502

एसा कहा जाता है की प्रभु यहा पर अपने सखाओ के संग गोपियन से दाण(कर) मांगते है इस कारण से दानघाटी नाम प्रचलित होता है |     

Darshan Timings:

Morning:- 05:30 AM to 11:00 AM
Evening:- 04:00 PM to 10:00 PM

स्थली शेर करे…

14. प्रथम मिलन की बेठकजी  

Address: Aanyor, Mathura, Uttar Pradesh 281502

Contact No.: 9012207296 | 8171261219 (Home)

स्वरूप: श्री महाप्रभुजी बेठकजी नं.12  

Darshan Timings:

Morning:- Mangla : till 8:30 | Shringar : After 11 | Rajbhog : 12/12:15/12:30
Evening:- Utthapan : 4:00 | Shayan Darshan : 6:30

बेठकजी चरित्र :

आनयोर सदुपाण्डे के घर बैठकजी | श्री महाप्रभुजी जीवों के उद्धार हेतु भारत परिक्रमा मे पधारे थे तब आपश्री जारखंड मे थे तब श्रीजी ने आपको आज्ञा की अब हम से रहा नहीं जा रहा ब्रिज मे आकर हमे गीरीराजजी मे बहार पधराओ | फिर वी. सं. १५४९ मे श्री महाप्रभुजी ब्रिज मे आन्योर सदुपाण्डे के घर पधारे |

shrinathji charitramrut , pratham milan, pratham milan ki bethak, anyor, sadupande ke ghar bethakji, pratham milan ki mahaprabhuji ki baithakji

व्रजवासी से श्रीजी के प्राकट्य का प्रसंग जाना| फिर सभी व्रजवासी को प्रभु के स्वरूप का ज्ञान एवं पुराण के साक्ष्य कहे | फिर प्रातः सभी वैष्णव सदुपाण्डे, माणेकचन्द पांडे, नरो, कुंभनदासजी तथा अन्य सभी को ब्रम्हसंबंध देकर वैष्णव बनाया | फिर सभी व्रजवासिन को लेकर गिरीराजजी के समीप पधारे | गिरीराजजी से बिनती कर ; गिरीराजजी के ऊपर पधारे | तब ही सामने से श्रीजी बावा भी सामने से पधारे | दोनों दिव्य स्वरूप के मध्य अलौकिक मिलन हुआ | 

जब श्री महाप्रभुजी ने सदुपाण्डे के घर से श्रीजी बावा के दर्शन की तब श्रीजी बावा दूध आरोग रहे थे, श्री वल्लभ को देख कर दूध का कटोरा गिरीराजजी की तलेटी पर गिर गया |  यहा पर गिरीराजजी की तलेटी पर श्रीनाथजी के दूध के कटोरा के चिन्ह के दर्शन होते है |

जारीजी भरने के नियम :

झारी जी भरने की आवश्यक बातें । आप सबने श्री सदुपाण्डे जी के परिवार की ओर सो सदेन्य भगवत स्मरण |  झारी जी भरने आये श्री वल्लभ के लाडले वैष्णवों सो विनती है। कि 

1 सबसे पहले आप जो श्री वल्लभ को धराने को जो लाये हो सामिग्री, वस्त्र आदि हाथ खासा करके और कोरे करके प्रथम मिलन की फोटो (चित्र) के पास पधराये | 

2 सबको बराबर से बाल भिगोकर अपरस करनी है। 

3 अपरस में घड़ी, अंगूठी (वीटी – रिंग) मोवाइल नहीं चलेगा।

4 पुरुषों की धोती बन्डी और स्त्रियों को साड़ी पहनना है।

5 अन्डर गारमेन्ट्स नया (कोरा) होय तो अपरस में चलेगा।

6 आप सब बैठक जी में केवल भगवद स्मरण करे नहीं तो शान्त रहे।

7 अपरस हो जाने के बाद आप सीधे बैठक जी में आओ और ध्यान रखना कि आपको कोइ छूना लें (अड़े नहीं)

विशेष : श्री वल्लभ को धोती उपरना या अत्तर धराने की प्रेरणा होय सो बाकी व्यवस्था बैठक जी में है। वाके लिये आप गुख्यिा जी सो सम्पर्क कर सको मो. 9897849382, 8266826311 श्री सदुपाण्डे जी गौ मानव सेवा मण्डल समिति पुष्टि कुंज प्रथम मिलन बैठक आन्यौर ठाकुर जी के लिए अच्छी अत्तर यहाँ मिलती है।

Vallabhkul: H.D.H Param Pujya Tilkayat Shri Indradamanji Maharajshri

स्थली शेर करे…

15. गोविंद कुंड 

Address: Govinda Kunda, Bhagosa, Aanyor, Uttar Pradesh 281502

Contact no.: 9837664752 | 7454980218 Nikunj Mukhyaji

स्वरूप: गोविंद कुंड, श्री गिरिराजजी मुखारविंद, श्री महाप्रभुजी बेठकजी नं.१३, श्री गुसाइजी की संध्या वंदन की बैठकजी, वैष्णव श्री चतुरानागा वैष्णव की लीला प्रवेश स्थली 

Bethakji Darshan Timing :

Shitkal

Morning : 7:30 Shringar – 12:45 anosar

Afternoon : 3:00 Utthapan – 6:30

Ushnakal

Morning : 7:30 Shringar – 12:45 anosar

Afternoon : 4:00 Utthapan – 6:30

श्री कृष्ण लीला :

गोविंद कुंड – जब श्री कृष्ण ने सभी बृजवासी को इन्द्र के स्थान पर गोवर्धन पूजन के लिए मनाया तब इन्द्रदेव को अभिमान आया और उन्होंने भयंकर वर्षा समग्र ब्रिजमंडल मे करी | तब श्री कृष्ण ने गोवर्धन धारण करके समग्र ब्रिज को सनाथ किया |
तब इन्द्र देव का मान भंग हुआ और उनको भूल समज आई तब उनकी माता ने उनको कहा की श्री कृष्ण से क्षमा मांगों और साथमे सुरभि गौमाता को ले जाओ प्रभु गौ अति प्रिय है | तब इन्द्रदेव ऐरावत और सुरभि माता के साथ प्रभु के शरण मे आए और क्षमा याचना की | तब सुरभि माता ने प्रभु को गौ और इंद्रिय के स्वामी- “गोविंद” नाम दिया | इन्द्र देव ने सुरभि गौ माता के दूध से और ऐरावत द्वारा जल अभिषेक से “गोविंदाभिषेक” किया | उस अभिषेक से एक कुंड की रचना हुई जो “गोविंद कुंड’ से प्रचलित हुआ |

मुखारविंद – इंद्रदेव ने यही प्रभु को 1 दिन के आठ भोग यानि 7 दिन के 56 भोग प्रभु को यही धराए |

महाप्रभुजी के समय मे प्रसंग :

यह स्थान पर श्री वल्लभ महाप्रभुजी ने चैतन्य महाप्रभु को “श्री कृष्ण प्रेमामृत” ग्रंथ प्रदान किया था | 

यह स्थान पर जब भगवदीय वैष्णव श्री कृष्णदास मेघन ने आपश्री से बिनती की श्री गिरीराजजी के अंदर व्यापी वैकुंठ बिराजमान है | एसे दर्शन कराने की कृपा करे |  तब आपश्री आज्ञा करते है की यह शिलाजी उठाइए | उसके अंदर कन्दरा मे जाने का द्वार है | उनके अंदर चले जाइए | आपको वैकुंठ के दर्शन होंगे | तीन दान बाद कृष्णदासजी को वैकुंठ के दर्शन हुए | 

श्री महाप्रभुजी ने वैष्णवन को गोविंद कुंड दूध से भरा हुआ है और गिरीराजजी रत्न खचित है इसे दिव्य दर्शन कराए |यहा आपश्री 5 दिन बिराजे , आजभी भगवदीय वैष्णवन को दूध से भरे हुए गोविंद कुंड के दर्शन होते है |

जारीजी भरने के नियम : धरमशाला की अपरस नहीं चलती , पासकी बैठकजी मे की गई अपरस चले | कुंड के पान से अपरस की जा शक्ति है (फिर भी आज्ञा अनुसार)

Vallabhkul: H.D.H Pujya Shri Rajeshkumarji Maharajshri Kadi gruh.

स्थली शेर करे…

16. अप्सरा कुंड – नवल कुंड 

Address: Navala Kunda, Poonchhari Ka Lautha, Rajasthan 281502

स्थली : अप्सरा कुंड एवं नवल कुंड , अष्टछाप कवि श्री छितस्वामीजी लीला प्रवेशद्वार

>अप्सरा कुंड : श्री इन्द्र और सुरभि गौमाता के द्वारा हुए गोविंदाभिषेक के पावन अवसर पर परम सुंदरी अप्सराओ ने यहा नृत्य किया | तद पश्चात श्री राधारानी ने रास मे स्वर्ग की सर्वोत्तम अप्सराओ को भी लज्जा आजाए एसा दिव्य नृत्य किया इस कारण से श्री राधारानी के भाव से इस कुंड का नाम अप्सरा कुंड पडा | 

>नवल कुंड : श्री राधारानि के भाव से हुए अप्सरा कुंड के बाजू मे हमारे नवल किशोर प्रभु श्री कृष्ण के भाव से नवल कुंड हुआ |

>श्रीनाथजी के अष्ट सखा के कवि भगवदिय श्री छितस्वामी का नित्य लीला प्रवेशद्वार 

स्थली शेर करे…

17. पूँछरी का लौठा बाबा मन्दिर

Address: Poonchhari Ka Lautha, Rajasthan 281502

श्री गिरीराजजी की तलहटी मोर के भाव से है और यह भाग मोर की पुछरी सा है | एक और भाव यह है की जब रास के दरमियान गोपियों के सौभाग्य मद से प्रभु अंतर्ध्यान हो गए तब गोपीया उन्हे समग्र ब्रिज मंडल मे ढूँढने लगि | तब गोपीया यहा आई और तब यहा श्री कृष्ण के सखा मधू मंगल थे जो थोड़े हुष्ट पुष्ट थे जिन्हे ब्रिज भाषा मे “लोंठा” कहा जाता है |  तब एक गोपी दूसरी गोपी से कहती है “पुछ अरी के लोंठा से ” यानि लोंठा से पूछो की श्री कृष्ण कहा है | इन कारणों इस स्थान का नाम पुछरी के लोंठा पड़ा | जब श्री कृष्ण द्वारिका के लिए प्रस्थान कर रहे थे तब उन्होंने अपने सखाओ को भी अपने साथ द्वारिका पधारने के लिए कहा तब मधूमंगल बोले तुम जा रहे हो उसका मुजे अत्यंत दुख है परंतु ब्रिज को छोड़ के मे कही नहीं जाऊंगा | उनको खान पान अति प्रिय था फिर भी उन्होंने कठिन प्रतिज्ञा ली की जब तक श्री कृष्ण फिर से ब्रिज मे नही पधारेंगे तब तक अन्न जल ग्रहण नहीं करेंगे और यही श्री कृष्ण की प्रतिक्षा करेंगे और यात्रियों को मार्ग दर्शन करेंगे  | तब श्री कृष्ण ने प्रसन्न हो कर उनको वर दिया की  आप बिना अन्न जल ग्रहण कीए  भी जीवित रहोगे और आपको कुछ नहीं होगा और जब मे  ब्रिज मे फिर से आऊँगा तब सर्व प्रथम मे आपसे ही मिलूँगा | इसी दिन की प्रतीक्षा मे मधूमंगलजी यही तपश्या कर रहे है | यहा पर उनका मंदिर है | 

स्थली शेर करे…

18. सुरभि कुंड

Address: Jatipura, Uttar Pradesh 281502

स्थली: सुरभि कुंड |  श्री परमानन्ददासजी  लीला प्रवेशद्वार

इन्द्र देव के मान भंग होने पर सुरभि गौमाता के साथ यहा क्षमा याचना करने आए | तब माता सुरभि ने प्रभुका दुग्धाभिषेक किया | तद पश्चात गौ चारण एवं युगल स्वरूप की निकुंज की लीला के दर्शन के हेतु श्री कृष्ण के ब्रिज के समय तक माता सुरभि वही रही , उनकी स्मृति मे श्री कृष्ण के वंशज राजा वज़्रनभ ने इस कुंड का नाम सुरभि कुंड रखा |  

श्रीनाथजी के अष्टछाप कवि श्री परमानन्ददासजी का लीला प्रवेशद्वार  |

स्थली शेर करे…

19. तुलशी क्यारा

Address: Tulsi kyara, Jatipura, nr Govardhan, Uttar Pradesh 281502

महत्व :

श्री महाप्रभुजी के द्वितीय लालन श्री विठ्ठलनाथजी श्री गुंसाईजी यही से सदेह श्री गोविन्दस्वामी के साथ गिरीराजजी की कन्दरा से  नित्य लीला मे पधारे  | उनकी स्मृति मे यहा पर तुलशी क्यारा का निर्माण हुआ है |

स्थली शेर करे…