धन तेरस पुष्टिमार्ग
धन तेरस पुष्टिमार्ग भाव, श्रीनाथजी दर्शन , धन त्रयोदशी पुष्टिमार्ग सेवा क्रम, धन तेरस के पद, श्रीकृष्ण व्रज लीला प्रसंग, धन त्रयोदशी पुष्टिमार्ग महत्व जानकारी | आज प्रभु के 17वे अवतार भगवान धनवंतरी का प्राकट्य हुआ है | समुद्र मंथन मे से आयुर्वेद के जनक धनवंतरी भगवान प्रकट हुए थे |
तिथि : अश्विन कृष्णपक्ष १३
श्री कृष्ण लीला
व्रज मे गौवंश को ही अपना वास्तविक धन मानते है | व्रज मे गोधन का अधिक महत्व है | इस कारण से प्रभु श्री कृष्ण अपनी ग्वाल मंडली के संग गायों के शृंगार करते है | उनका पूजन करते है | गाय को थुलि खिलाते है |
गोधन पूजा करके गोविंद सब ग्वालन पहेरावत l
आवो सुबाहु सुबल श्रीदामा ऊंचे लेले नाम बुलावत ll 1 ll
अपने हाथ तिलक दे माथे चंदन और बंदन लपटावत l
वसन विचित्र सबन के माथें विधिसों पाग बंधावत ll 2 ll
भाजन भर भर ले कुनवारो ताको ताहि गहावत l
‘चत्रभुज’प्रभु गिरिधर ता पाछे धोरी धेनु खिलावत ll 3 ll
आज यशोदा मैया भौतिक लक्ष्मी जी की प्रतिमा को स्नान कराके, पूजन करके प्रभु सन्मुख रखती है | आपने लाल को धराए जाने वाले शृंगार को धोती है | इस कारण से आज मंगला पश्चात धन धोवत नंदरानी जैसे पद गाए जाते है | आज से चार दिन तक व्रज मे दीपदान का विशेष महत्व है | अतः संध्या मे समग्र व्रज मे दीप सजाए जाते है |
कीर्तन :
प्यारी अपनो धन जो संभारे ॥ वारंवार देख नयननसों लेजु हृदयमें धारे ॥ १ ॥
रुचिसों सरस संभारत पियकों आभुषण बहु सोहे | आगम निरख दिवारीको मन द्वारकेशको मोहे ॥ २ ॥
भावार्थ :
श्री राधारानी अपनों धन श्री कृष्ण का जतन कर रही है | सभाल कर हृदय मे धारण कर रही है | बार बार नयन से निरख कर नयन से निरखे स्वरूप को आप के हृदय मे धारण कर रही है | आपके मनमे हुए मनोरथ रूपी शृंगार प्रभु को धारण कराए है | आभूषण प्रभु के कारण सोहाय रहे है | दिवाली के आगम को देख कर द्वारकेशजी लीला के दर्शन करके आनंदित हो रहे है |
श्रीनाथजी दर्शन – धन तेरस
धन तेरस से देव प्रबोधिनी एकादशी के सभी उत्सव के पद, (धन तेरस के पद, रूप चतुर्दशी के पद, दीपावली के पद, दीपमालिका के पद, हटरी के पद, कान जगाई के पद, अन्नकूट के पद, गोवर्धन पूजन के पद, भाई दूज के पद, गोपाष्टमी के पद, देव प्रबोधिनी एकादशी के पद) नीचे उपलब्ध ई-बुक मे प्राप्य है |
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