सूरदासजी कृत दानलीला

सूरदासजी कृत दानलीला , दान के दिन मे प्रभु की दान लीला दर्शन |

सूरदासजी रचित बड़ी दान लीला
गढ़तें ग्वालिनि ऊतरी|राग-देवगिरी बिलावल|ताल-त्रिताल|दान लीला को पद|Shri Girdhargopal Ji Mapawala

।। राग विलावल ।।

गढ़तें ग्वालिनि ऊतरी शीश महीको मॉट ॥

आड़ौ  कन्हैया ह्वै  रह्मौ  रोकी ब्रजवधू  बाट ॥ नागरि दान दे ॥१॥

कहाँकी हो तुम ग्वालिनी कहा तिहारौ नाम ॥

बरसानेकी ग्वालिनी प्यारी राधा मेरौ नाम ॥ मोहन जान दे ॥२॥

वृंदावनकी कुंजमें अचरा पकरयौ  दौर ॥

नाम दानको लेत हो लाला चाहत हौ कछु और ॥ मोहन जान दे ॥३॥

तुम अकेले हम अकेली बात नहीं कछु जोग ।।

तुमतो  चतुर प्रवीन हौ  कहा कहेंगे लोग ॥ मोहन जान दे ॥४॥

संगकी सखी सब दूरि निकसि गई हम रोकी बनमाँझ ।।

घरतो दारुन सास है अब होन लगी है साँझ ॥ मोहन जान दे ॥५॥

तुम ओढ़ी है कामरी हम पेहेरयौ  है चीर ॥

उमड़ि घुमड़ि आई बादरी अब कहा बरसावत नीर ॥ मोहन जान दे ॥६॥

प्रेम मगन ग्वालिन भई हरिको दरशन पाय ॥

मुख तें बचन न आवही सो लगी ठगौरी जाय ॥ मोहन जान दे ॥७॥

लै मटुकी आगें घरी धरी श्याम के पाँय  ॥

मन भावै सो लीजियै  बचे सो वेचन जाँय ॥ मोहन जान दे ॥८॥

सुख बाढ़यौ  आनंद भयो रही श्याम गुन गाय ॥ 

सुंदर शोभा देखिकें सूरदास बलि जाय ॥ मोहन जान दे ।।९।।

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