परम कृपाल श्री वल्लभ नंदन

जब नित्यलीला की अधूरी लीला भूतल पर पूर्ण करने हेतु श्रीनाथजी द्वारा रचित लीला मे जब कृष्णदास अधिकारीजी ने जब गुसाइजी को श्रीनाथजी की सेवा से रोका और फिर श्री गुसाइजी ने विज्ञप्ति की रचना की | फिर जब बीरबल ने कृष्णदासजी को जेल मे बंध किया और गुसाइजी की आज्ञा एवं कृपा से कृष्णदासजी जेल से मुक्त हुए और जब गुसाइजी ने उन्हे पुनः श्रीजी के मंदिर के अधिकारी बनाए | तब भाव आवेश हो कर कृष्णदासजी ने यह  पद की रचना की | आप यह प्रसंग नीचे दी गई लिंक पर टच करके पढ़ सकते हो |

https://vrajdwar.org/hi/utsav/kasumba-chhath/

पद :

परम कृपाल श्री वल्लभ नंदन करत कृपा निज हाथ दे माथे l
जे जन शरण आय अनुसरही गहे सोंपत श्री गोवर्धननाथे  ll 1 ll
परम उदार चतुर चिंतामणि राखत भवधारा बह्यो जाते l
भजि ‘कृष्णदास’ काज सब सरही जो जाने श्री विट्ठलनाथे ll 2 ll

परम कृपाल श्री वल्लभ नंदन गुसाइजी पद वार्ता प्रसंग कसुंबा छठ
परम कृपाल श्रीवल्लभनंदन|राग - कान्हरो|ताल - धमार|श्री गुसांईजी की बधाई|Shri Girdhargopal Ji Mapawala
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