कृष्णदास जी अधिकारी – अष्ट छाप कवि

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श्रीनाथजी अष्ट छाप कवि कृष्णदास जी अधिकारी जीवन चरित्र दर्शन
श्रीनाथजी ने लीला रचके पुरणमल क्षत्रिय से मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ करवाया |

अब पूरे मंदिर का संचालन कर सके | हिसाब किताब करे, मंदिर निर्माण कार्य की देख रेख करे एसा कोई व्यक्तिकी आवश्यकता थी। श्रीजीबावा ने एक और लीला रची |

फिर कृष्णदासजिने श्री महाप्रभुजी को बिनती की कृपानाथ कोई सेवा की आज्ञा करो | तब श्री महाप्रभुजी ने आज्ञा की मंदिर का नवनिर्माण कार्य चल रहा है | आप उसमे देख रेख रखो और कृष्णदासजी को अधिकारी बनाया |
कृष्णदास अधिकारी मंदिर के खर्च हिसाब का ध्यान रखते | मंदिर नवनिर्माण की देखरेख रखते और कुंभनदासजी. सुरदासजी के साथ बैठ कर कीर्तन गाते और सत्संग करते। श्रीजीबावा की सेवा मे रखे हुए बंगालीओ भ्रस्टाचार बढ़ रहा था।
उनको श्रीजी की सेवा से दूर करके साँचोरा ब्राम्हणो को श्रीजी की सेवा में नियुक्त करना उसमे मुख्य रामदास साँचोरा को श्रीजी की सेवा नियुक्त श्री कृष्णदास अधिकारी जी ने ही किया था । श्रीजीबावा उनकी कीर्तन सेवा से बहुत प्रसन्न रहते । हमेशा प्रभु के ततसूख का ख्याल रखते |
श्री कृष्णदासजी ने कई कीर्तन की रचनाए की. भगवद लीला सत्संग भी अत्यंत सुंदर रीत से करते। कई जीवों को प्रभु के सन्मुख किया। श्री गोवर्धननाथजी के अंतरंग सखा है और अत्यंत ही कृपापत्र है |
श्री गुसाइजी एवं श्रीनाथजी के विरह का करूण प्रसंग जो कृष्णदासजी से जुड़ा हुआ है | वह प्रसंग को पढ़ने के लिए नीचे दीए लिंक पर टच करे |
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